शिमला/हिमाचल :- एसएफआई हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय इकाई ने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के मुख्य छत्रपाल कार्यालय में हॉस्टल आवंटन में गड़बड़ियों के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया। एसएफआई पिछले लंबे समय से यह मांग कर रही है कि विश्वविद्यालय में नये सत्र की कक्षाएं शुरू हो चुकी है परंतु एक महीना बीत जाने के बात भी विश्वविद्यालय प्रशासन छात्रों को हॉस्टल देने में पूरी तरह से असफल है।
इस मुद्दे को लेकर जब एस एफ आई लगातार विश्वविद्यालय प्रशासन पर दबाव बनाने का काम करती है उसके बाद हॉस्टल आवंटन की लिस्टो को लगाया जाता है। जिसमें इन लिस्टो में काफी बड़े स्तर पर गड़बड़ियां देखने को मिलती है जंहा पर अनुसूचित जातियों के छात्रों और जिस छात्रो ने विश्वविद्यालय के प्रवेश परीक्षा में टॉप किया है उन छात्रों को विश्वविद्यालय प्रशासन हॉस्टल देने से वंचित रख रहा है।
इस पर एसएफआई ने आरोप लगाते हुए कहा है कि विश्वविद्यालय के अंदर इआरपी सिस्टम के चलते पहले तो बड़े स्तर पर परीक्षाओं के अंदर किसी भी तरह की पारदर्शिता ना होते हिमाचल प्रदेश के पूरे छात्रों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
अब विश्वविद्यालय में इस इआरपी सिस्टम के माध्यम से छात्रों पर निगरानी रखने के लिए सभी हॉस्टलो की पूरी व्यवस्था इस इआरपी सिस्टम को सौंप दी है।
विश्वविद्यालय में हॉस्टल एलॉटमेंट में आज देरी का सबसे बड़ा कारण यह इआरपी सिस्टम जिम्मेदार है।
आज छात्र हॉस्टल न मिलने के कारण अपनी कक्षाएं नहीं लगा पा रहे है विश्वविद्यालय के अंदर हर जिला से छात्र प्रवेश लेता है और समय से उसे हॉस्टल न मिलने पर उसे महंगे कमरो को लेकर रहना पड़ रहा है। इसमें भी अधिकतर छात्र ऐसा है जिसको हॉस्टल मिलना है और वह अभी तक विश्वविद्यालय में नहीं पहुंच पाया है वह इस बात का इंतजार कर रहा है कि हॉस्टल लिस्ट लगने के बाद ही विश्वविद्यालय जायेगा।
एसएफआई हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय इकाई ने चेतावनी देते हुए कहां है कि जो विश्वविद्यालय प्रशासन ने हॉस्टल एलॉटमेंट की लिस्टो को जारी किया है उसके अंदर काफी बड़े स्तर पर गड़बड़ीया है। उन गड़बड़ीयों को जल्दी से जल्दी ठीक किया जाए और फिर से बिना किसी देरी के योग्य उमीदवार छात्रों को हॉस्टल दिए जाए।
अगर आने वाले समय के अंदर छात्रों को हॉस्टल नहीं मिलते है तो एसएफआई सभी छात्रों को लामबंध करते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ आंदोलन तैयार करेगी इसका जिम्मेदार खुद विश्वविद्यालय प्रशासन होगा।