Search
Close this search box.

लोकपूज्य देवता गोगाजी महाराज का इतिहास 

हमीरपुर/विवेकानंद वशिष्ठ  :-  सिर धड़ से अलग होने पर भी महमूद गजनवी से लड़ने वाले, भगवान् गुरु गोरखनाथ से आशीर्वाद प्राप्त करने वाले, संसार की समस्त गायों की रक्षा करने वाले, संसार के सब साँपों को अपने वश में करने वाले सिद्धि प्राप्त लोकपूज्य देवता गोगाजी के जीवन का संक्षिप्त परिचय

(गो+गा=गोगा जी)
गो= गोरखनाथ जी के नाम से लिया तथा गा= गायों की रक्षा करते थे तो गायों से गा मिल कर गोगा जी बनेl
नाम:- लोकपूज्य देवता गोगाजी (जाहरवीर गोगाजी) को लोग गोगाजी चौहान, गुग्गा, जाहिर वीर, जाहर पीर व गोगा पीर के नामों से भी पुकारते है।
पिता:- वीर गोगाजी के पिता का नाम जेवरसिंह (जैबर व जीवराज) था, जो कि राजस्थान के ददरेवा (चुरू) के चौहान वंष के राजपूत शासक थे।
माता:- वीर गोगाजी की माता का नाम बाछल देवी था।
जन्म स्थान:- वीर गोगाजी का जन्म राजस्थान में चुरू जिले में हुआ था।
निर्वाण:- वीर गोगाजी का निर्वाण महमूद गजनवी के साथ हुए युद्ध में वि.सं. 1081 (सन् 1024 ई.) में हुआ। वीर गोगाजी ने वृद्धावस्था में अपने भाई-बन्धुओं, पुत्र-पौत्रों सहित असाधारण पराक्रम के साथ लड़ते हुए वीरगति प्राप्त की। यहां के पुजारी चायल मुसलमान हैं जो गोगाजी चौहान के ही वंशज हैं।
चारित्रिक विशेषताएँ:- महापुरुष गोगाजी जाहरवीर हिंदू, मुस्लिम, सिख सभी संप्रदायों के लोकप्रिय देवता है, यह पीर नाम के रूप में भी प्रसिद्ध हैं। यह गुरु गोरखनाथ जी के प्रमूख शिष्यों में से एक थे। इन्होंने तंत्र विद्या की शिक्षा गुरु गोरखनाथ जी से प्राप्त की थी। चौहान वंश में राजा पृथ्वीराज चौहान के बाद वीर गोगाजी ही अधिक ख्याति प्राप्त राजा थे। गोगाजी का राज्य सतलुज से हांसी (हरियाणा) तक था। लोकपूज्य देवता वीर गोगाजी को सांपों के देवता के रूप में भी पूजा जाता है। लोग इन्हें गोगजी चौहान गुर्जर, गुग्गा, जाहिर पीर व जाहर पीर के नामों से पुकारते हैं।
वीरव्रती राणा गोगाजी चौहान ने गजनवी के दूत को कहा कि जब तक गोगा बापा के शरीर में खून की एक बूंद बाकी है, तब तक वह तो क्या, कोई परिंदा भी भगवान सोमनाथ के मन्दिर पर पर नहीं मार सकता। राणा गोगाजी चौहान ने अपने पुत्र सज्जन व पौत्र सामंत को सोमनाथ की रक्षार्थ तैनात कर दिया और स्वयं युद्ध की तैयारी में जुट गए।
हमलावर महमूद गजनवी ने गोगागढ़ को घेर लिया। राणा गोगाजी चौहान जय सोमनाथ के घोष के साथ गजनवी की सेना पर बिजली की तरह टूट पड़े। भयंकर युद्ध हुआ। राणा गोगाजी चौहान ने आक्रमण का वीरोचित उत्तर दिया और अपने प्राणों को न्यौछावर कर दिया।
भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की नवमी को हनुमानगढ़ जिले के गोगामेड़ी में लोकदेवता राणा गोगाजी चौहान का विशाल मेला भरता है। यह मेला एक माह तक लगता है|