हमीरपुर/विवेकानंद वशिष्ठ :- हमीरपुर सदर विधायक ने जैसा कि कल विधानसभा के पटल पर बड़े वक्तव्य रखकर हमारे प्रदेश के मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुखुजी के ऊपर उंगली उठाने वाले भाजपा विधायक का खुद का हाल “खुद मियां फजीहत, दूसरों को नसीहत ” जैसा है । डॉक्टर पुष्पेंद्र ने कहा उनको साथ में यह भी बताना चाहिए था की जिस भूमि के 18 लाख रुपए मुख्यमंत्री के भाई या परिवार को मिले हैं वह कानून के तहत मिले । राजस्व विभाग द्वारा तय सर्किल रेट के हिसाब से यह मुआवजा मिला ।
और कह रहे थे की नदी नालों की इतनी कीमत नहीं होती है वहां की जमीन की तो कोई कीमत नहीं होती। यह बड़ा ही हास्यापद ब्यान था , जो खुद नदी नालों की जमीनों को खोद कर उठे हैं वह कह रहे हैं कि वहां की कोई कीमत ही नहीं है। अगर मुख्यमंत्री के भाई या उनके परिवार को भूमि अधिग्रहण के तहत कोई मुआवजा मिला है तो वह कानून के हिसाब से मिला है, सर्किल रेट के हिसाब से मिला है इसमें किसी तरह की कोई हेरा फेरी नहीं है।
लेकिन विधायक महोदय बताएं कि कैसे कोट कलंझडी, काले अंब ,
शासन और पता नहीं कहां कहां किन-किन पंचायत में लोगों को बरगला कर सैकड़ो कनाल भूमि विधायक और परिवार ने खरीदी है । कैसे बिना अनुमति के सैकड़ो कनाल इस भूमि में बिना रेरा की इजाजत के खुदाई कर छोटे-छोटे प्लॉट बनाकर उनको महंगे दामों पर बेचा जा रहा है और वहां से जो पत्थर निकल रहा है उसको अपने क्रेशर प्लांट पर गैर कानूनन पीसते रहे ,, क्या तब उनको प्रदेश सरकार के खजाने की याद नहीं आई थी।
आज जब यह सारी गैर कानूनी उनकी गतिविधियां सरकार ने बंद कर रखी हैं तो यह सरकार के मुखिया पर इल्जाम लगाकर उनके पाक साफ दामन पर कीचड फेंकने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने जो भी तथ्य रखे विधानसभा के पटल पर उनसे कोई इनकार नहीं है।
पर सवाल उनसे यह पूछना चाहते हैं की क्या वह जो तथ्य उन्होंने रखे वह कानून के हिसाब से मिला हुआ मुआवजा नहीं है? क्या उसमें कोई हेरा फेरी है? क्या सर्किल रेट जिस व्यक्ति को मुआवजा मिलता है वह तय करता है या सरकार के द्वारा पहले से ही वह तय होते हैं ?
इसलिए इस तरह की ओछी राजनीति से सदर विधायक को बचना चाहिए और मुद्दों की और सिद्धांतों की राजनीति करनी चाहिए ।