नगर निगम बनाने के साथ चुनाव करवाने की हलचलें हुईं तेज: हमीरपुर 

हमीरपुर/विवेकानंद वशिष्ठ :- नगर परिषद हमीरपुर में हाल ही सामान्य बैठक आयोजित की गई थी जिसमें शहर में किए जा रहे और होने वाले विकास कार्यों को गतिशीलता प्रदान करनी थी लेकिन इसमें किसी भी बीजेपी और आजाद पार्षद ने हिस्सा नहीं लिया बल्कि उल्टे अड़चन पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं।

 

जो 2 _ 3 पार्षद बोल रहें हैं कि मीटिंग कैसे हो सकती है तो मैंने पहले भी बताया है और आज फिर बता रहा हूं कि ये मीटिंग एक्ट के अनुसार रखी गई थी जिसमें स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि कोरम पूरा नहीं होने पर सभापति पहली मीटिंग को स्थगित कर सकता है अतः हम पहली मीटिंग अगली अवधि तक स्थगित कर दी थी।

 

तुम लोग रूकवाने की कोशिश करना, और हम विकास कार्य करवाने की करते हैं।

 

अगली सामान्य बैठक हाल ही में आयोजित की गई जिसमें भी इन्होंने अड़चन पैदा की ओर बैठक में नहीं आए।ये सामान्य बैठक बेहद जरूरी थी इसमें सभी निर्णय वार्डों और शहर के विकास कार्यों के हित में लेने थे।शहर का सौंदर्यकरण करना था।

 

 

शायद इन्हें रूल बुक पढ़ने की फुर्सत ही नहीं है या जानकारी ही नहीं है कि नगर पालिका के भी अपने रूल्स होते हैं।केवल पार्षद बनने से और प्रधान जी प्रधान जी सुनने से कुछ नहीं होता है जहां जा रहे हो वहां की जानकारी होना अति आवश्यक होती है वर्ना अधूरा ज्ञान घातक होता है। रूल बुक में साफ शब्दों में लिखा गया हैं कि एक मीटिंग स्थगित होने के बाद कोरम पूरा न होने पर भी समान्य सभा की जा सकती है और सभी कार्य पूरे किए जा सकते हैं।

 

 

जिसमें सद्स्यों की संख्या 3 से कम नहीं होनी चाहिए हम तो फिर भी 4 थे और 4 मनोनित पार्षद भी साथ थे। दूसरी बात इन्होंने डीसी महोदय जी के निर्णय को जो कि लॉ के अनुसार दिया गया है उसे चुनौती दी है। उस निर्णय के अनुसार अविश्वास प्रस्ताव निरस्त हो चुका है क्योंकि 6 पार्षदों द्वारा हस्ताक्षर किया पत्र पहले ही डीसी महोदय जी को सौंप दिया गया है।

 

रूल के अनुसार अब 1साल तक ये अविश्वास प्रस्ताव पेश नहीं कर सकते हैं। तब तक हम ही अध्यक्ष हैं और हमारे होते हुए न वार्डों के विकास कार्य रूकेंगे और न ही शहर का विकास रुकेगा।

 

साथ में इन्होंने डीसी महोदय के फैंसले को हाई कोर्ट में चैलेंज किया है और मामला चला हुआ है न ही उसका कोई फैंसला आया है जब तक कोई फैंसला नहीं आता है तब तक हम ही डीसी महोदय के फैंसले के अनुसार अध्यक्ष हैं और हम यह भी बताना चाहते हैं केस हाई कोर्ट में विचाराधीन है न कि फैंसला हो गया है और हमें मुजरिम साबित कर दिया है , नगर परिषद के ऐक्ट क्या हैं उनको पढ़ाने के लिए कोई स्कूल नई खोला गया है वो खुद ही पढ़ने पड़ते हैं और साथ में यह जो दो पार्षद बयान दे रहे तो इनके साथ कितने लोग हैं यह भी बता दें।

 

 

ये जो कुछ पार्षद समाचार पत्रों में विकास कार्यों में अपना योगदान होने की बात कर रहे हैं तो सभी को ज्ञात होना चाहिए की इनका कोई योगदान नहीं है यदि ये इतने ही विकास कार्यों के प्रति संवेदनशील होते तो मीटिंग में जरूर आते लेकिन इन्होंने 22 फरवरी को ही अपने मंसूबे बता दिए थे ये सब तभी से मीटिंगों से दूरी बनाए हुए हैं।

 

ये सभी लगातार पिछले कई महीनों या यूं कहें कि शुरुआत से ही मेरे विरुद्ध रहे हैं।लेकिन जब से मैंने बड़े भाई डॉक्टर पुष्पिंदर वर्मा जी की अगुवाई में माननीय मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का हाथ थामा है तब से उनके निर्देशानुसार सारे शहर की कायाकल्प का कार्य शुरू हो गया है जिसे किसी भी तरह की अड़चन नहीं रोक पाएगी।सभी कार्य होंगे और पुरे जोर शोर से होंगे चाहे जो मर्जी कर लो।