हमीरपुर/विवेकानंद वशिष्ठ :- बीबीएन ट्रस्ट की मुख्य कैंटीन दियोटसिद्ध में तैयार रोटियों के सैंपल फेल होने के बाद प्रबंधन ने मौजूदा कैंटीन को बंद करने और आने वाले दिनों में कैंटीन को आउटसोर्स करने का फैसला किया है। बड़सर के एसडीएम राजेंद्र गौतम जो सिद्ध बाबा बालक नाथ मंदिर ट्रस्ट दियोटसिद्ध के अध्यक्ष भी हैं, ने बताया कि ट्रस्ट की एक अन्य कैंटीन पहले ही आउटसोर्स की जा चुकी है और दूसरी को भी अब आउटसोर्स किया जाएगा।
यहां यह बताना जरूरी है कि ट्रस्ट ने यह कदम तब उठाया जब राज्य सरकार की कंडाघाट प्रयोगशाला में रोटियों के सैंपल मानव उपभोग के लिए पाए गए। खाद्य सुरक्षा विभाग द्वारा दो महीने पहले जांच के लिए लिए गए इस कैंटीन के सैंपल फेल पाए गए हैं। कंडाघाट की लैब द्वारा दी गई रिपोर्ट के अनुसार रोटियां खाने योग्य नहीं पाई गई हैं।
इसके अलावा एक अन्य निजी दुकान से लिए गए रोटों के नमूनों का भी ऐसा ही नमूना फेल पाया गया है। यानी एक ही समय पर लिए गए दो अलग-अलग नमूने फेल पाए गए हैं। इसका कारण यह बताया गया है कि रोटों को एक साथ तैयार किया जाता है और कई दिनों तक बेचा जाता है। इस कारण बासा और अम्लीयता के स्तर वाले ये रोट नमूने में फेल पाए गए हैं।
तीर्थयात्रियों को प्रसाद बेचने वाली मुख्य कैंटीन मंदिर ट्रस्ट द्वारा शुरू से ही अपने कर्मचारियों द्वारा संचालित की जा रही थी और इसका कारोबार खूब चल रहा था।
हालांकि रोटों को मानव उपभोग के लिए अनुपयुक्त कैसे पाया गया, यह गंभीर चिंता का विषय है और इस पर विस्तार से विचार किया जाना चाहिए।
आमतौर पर दो तरह के रोट बनाए जाते हैं, एक देसी घी से और दूसरा डालडा घी या रिफाइंड तेल से और तीर्थयात्रियों को बेचा जाता है।
मंदिर आयुक्त सह हमीरपुर के उपायुक्त अमरजीत सिंह का कहना है कि रोटियां व प्रसाद की गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
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