शिमला/विवेकानंद वशिष्ठ :- हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला की शोध समिति ने “भारतीय ज्ञान प्रणाली को भारतीय दृष्टिकोण से पुनर्विचार” विषय पर संगोष्ठी और पारितोषिक वितरण समारोह का आयोजन किया।
इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि आचार्य देव दत्त शर्मा जी पूर्व कुलपति सरदार पटेल विश्विद्यालय मंडी, और विशिष्ट अतिथि राहुल राणा, राष्ट्रीय मंत्री अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद उपस्थिति रहे। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन से हुआ। शोध समिति की संयोजिका चित्रेश ने स्वागत भाषण में समिति द्वारा शोधार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए आयोजित किए जाने वाले विभिन्न कार्यक्रमों की जानकारी दी और मुख्य अतिथि आचार्य देव दत्त शर्मा (पूर्व कुलपति, एसपीयू मंडी), विशिष्ट अतिथि श्री राहुल राणा (राष्ट्रीय मंत्री, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद), एवं उपस्थित सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया।
उसके बाद राहुल राणा जी ने वक्तव्य रखा और , उन्होंने भारतीय शिक्षा प्रणाली की मौलिकता और उसकी पुनर्स्थापना की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपराएँ, जो कभी विश्व की सबसे उन्नत प्रणाली थीं, मुगल और ब्रिटिश शासन के दौरान विकृत कर दी गईं। उनका मानना था कि आज का शोध कार्य भारतीय परंपराओं की छवि को पुनः स्थापित करने पर केंद्रित होना चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि आधुनिक शिक्षा प्रणाली को इस प्रकार पुनर्गठित करना चाहिए कि उसमें भारतीय ज्ञान और परंपराओं की गहरी छाप हो, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ अपने गौरवशाली इतिहास को समझ सकें और इससे प्रेरणा ले सकें ।
उसके बाद मुख्य अतिथि आचार्य देव दत्त शर्मा जी का वक्तव्य हुआ और उन्होंने भारतीय गुरुकुल प्रणाली को संपूर्ण शिक्षा का आदर्श मॉडल बताया, जो केवल किताबी ज्ञान तक सीमित नहीं थी, बल्कि शारीरिक, मानसिक और नैतिक विकास पर भी बल देती थी। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति (एनईपी) भारतीय ज्ञान परंपराओं को पुनर्जीवित करने का एक क्रांतिकारी कदम है, जो युवाओं को न केवल भारतीय संस्कृति से जोड़ती है, बल्कि उन्हें वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करती है।
आचार्य शर्मा ने शोध में भारतीय दृष्टिकोण को जोड़ने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि यह समय की माँग है कि हमारे शोध कार्य भारतीय इतिहास, संस्कृति, और मूल्यों के आधार पर विकसित हों। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि हमें अपने प्राचीन ग्रंथों, जैसे वेद, उपनिषद, और महाभारत, से प्रेरणा लेकर समकालीन चुनौतियों का समाधान खोजने की कोशिश करनी चाहिए।
दोनों वक्ताओं ने यह स्पष्ट किया कि भारतीय शिक्षा और ज्ञान प्रणाली में न केवल हमारी सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने की क्षमता है, बल्कि यह समग्र व्यक्तित्व विकास और सामाजिक पुनर्निर्माण के लिए भी उपयुक्त है इस अवसर पर 2023-24 सत्र में सेट, नेट और जेआरएफ परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले 135 विद्यार्थियों और शोधार्थियों को स्मृति चिह्न और प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम का समापन सह संयोजक नेक राम के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिसमें उन्होंने मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि और सभी प्रतिभागियों के प्रति आभार व्यक्त किया।