

शिमला/विवेकानंद वशिष्ठ :- आईजीएमसी कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स यूनियन संबंधित सीटू के बैनर तले आईजीएमसी अस्पताल के सफाई, वार्ड अटेंडेंट, सुरक्षा कर्मी, ईसीजी, मैस, लॉन्ड्री, डेटा एंट्री ऑपरेटर, ऑपरेशन थिएटर असिस्टेंट आदि छः सौ आउटसोर्स कर्मी 132 मजदूरों को बिना कारण गैर कानूनी तरीके से नौकरी से निकालने के खिलाफ हड़ताल पर उतर गए।


हड़ताल के कारण अस्पताल में ऑपरेशन नहीं हो पाए। सफाई व्यवस्था पूर्णतः ठप्प रही। ओपीडी भी काफी तौर पर प्रभावित रही व डॉक्टरों को स्वयं ही चतुर्थ श्रेणी कर्मियों का कार्य करना पड़ा। ईसीजी व लॉन्ड्री का कार्य पूरी तरह बाधित रहा। इमरजेंसी के सिवाए अस्पताल के सभी कार्य ठहर गए। यूनियन ने चेतावनी दी है कि अगर निकाले गए मजदूरों को तुरंत बहाल न किया गया तो आंदोलन तेज होगा व हड़ताल आगे बढ़ेगी।


अस्पताल प्रशासन द्वारा 132 कर्मियों को नौकरी से निकालने के खिलाफ सैंकड़ों मजदूर उग्र हो गए व हड़ताल पर उतर गए। आउटसोर्स कर्मियों ने अस्पताल परिसर में ही मोर्चा बांध लिया व धरने पर बैठ गए। इस दौरान मजदूरों से बातचीत के लिए एडीसी शिमला व थाना प्रभारी सदर आए परंतु आंदोलनकारी मजदूरों ने हड़ताल खत्म करने से इंकार कर दिया। यूनियन ने अस्पताल के प्रधानाचार्य, अतिरिक्त निदेशक व चिकित्सा अधीक्षक से तत्काल मांगों का समाधान मांगा है। यूनियन ने 132 मजदूरों की तत्काल बहाली की मांग की है। यूनियन ने निर्णय लिया है कि आईजीएमसी प्रशासन के खिलाफ निरंतर आंदोलन होगा। इसके तहत हड़ताल, धरने प्रदर्शन, राजभवन, सचिवालय, महात्मा गांधी प्रतिमा, उपायुक्त कार्यालय मार्च व अधिकारियों के घेराव होंगे। प्रदर्शन में सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा, जिलाध्यक्ष कुलदीप डोगरा, जिला कोषाध्यक्ष बालक राम, आउटसोर्स यूनियन महासचिव दलीप सिंह, विवेक कश्यप, राम प्रकाश, रंजीव कुठियाला, यूनियन अध्यक्ष वीरेंद्र लाल, महासचिव नोख राम, कोषाध्यक्ष सीता राम, निशा, सरीना, सुरेंद्रा, उमा, विद्या, प्रवीण, भूमि, वनीता, राजेंद्र, धनी राम, संजीव, सुनीता, सुशीला, लेख राज, जगत राम, वंदना, चमन, सुनीता, विद्या ग़ाज़टा, उमा, सन्नी , संदीप, हीरा लाल सहित सैंकड़ों मजदूर शामिल रहे।



सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा, जिलाध्यक्ष कुलदीप डोगरा, यूनियन अध्यक्ष विरेंद्र लाल व महासचिव नोख राम ने अस्पताल के प्रबंधन व ठेकेदारों पर आरोप लगाया है कि वे मजदूरों का भयंकर शोषण कर रहे हैं। उन्होंने आईजीएमसी प्रबंधन से पूछा है कि कोविड योद्धाओं को नौकरी से निकालने व उनके साथ ऐसा बर्ताव करने के पीछे उनका कौन सा गुप्त एजेंडा है। उन्होंने आईजीएमसी अस्पताल प्रबन्धन पर मजदूरों के गम्भीर शोषण का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि आईजीएमसी अस्पताल में अंग्रेजों के ज़माने के काले कानून आज भी जारी हैं। यहां हायर एन्ड फायर नीति जारी है जिसका सबसे ताजा उदाहरण 132 मजदूरों को गैर कानूनी तरीके से नौकरी से निकालना है। उन्होंने कहा कि अस्पताल प्रबंधन की आपसी खींचतान व गुटबाजी में मजदूरों को बलि का बकरा बनाया जा रहा है। अस्पताल में मजदूरों को सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम वेतन तक नहीं मिल रहा है। आईजीएमसी में अभी भी श्रम कानूनों का गला घोंट कर 132 कोविड कर्मियों को नौकरी से बाहर कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि आईजीएमसी अस्पताल में न्यूनतम वेतन, ईपीएफ, ईएसआई, छुट्टियों, आठ घण्टे के कार्य दिवस, हर माह सात तारीख से पूर्व वेतन भुगतान, बोनस, चेंजिंग रूम, दो वर्दी सेट आदि मुद्दों का समाधान नहीं किया जा रहा है। आईजीएमसी अस्पताल प्रशासन श्रम क़ानूनों व 12 जून के श्रम कार्यालय में हुए समझौते की खुली अवहेलना कर रहा है। उन्होंने चेताया है कि अगर श्रम कानून लागू न हुए तो आंदोलन तेज होगा।


