शिमला/विवेकानंद वशिष्ठ :- हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिक्षक कल्याण संघ (हपुटवा) द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में हाल ही में कुछ कर्मचारी संगठनों द्वारा अनुबंध सेवाओं विरोधी बिल का समर्थन करना दुर्भाग्य पूर्ण बताया । यहाँ जारी एक बयान में डॉ नितिन व्यास ने बताया कि यह दुर्भाग्यापूर्ण है कि कुछ कर्मचारी संगठन राजनीतिक स्वार्थ के चलते या सरकारी आकाओं को खुश करने के लिए कर्मचारी विरोधी बयानबाज़ी कर रहे हैं ।
एक महाविद्यालय का शिक्षक जो कॉलेज में हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित परीक्षा को पास करता है उसके बाद साक्षात्कार में बैठता है फिर महाविद्यालय में अनुबंध अध्यापक के रूप वर्तमान काल में दो वर्ष सेवाएँ देता है जबकि पहले तो छे से आठ साल का अनुबंध था उसके बाद उसको नियमित किया जाता था यानी नये विधेयक के आने से लगभग दो वर्ष तथा कुछ जगह तो छे से आठ साल की नौकरी का अनुभव समाप्त कर दिया जाएगा जो अनुबंध के रूप में थी यह सरा सर अन्याय है ।
हपुटवा ने बताया कि यह बिल उन हज़ारों महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय प्राध्यापकों का मनोबल गिराएगा जो एक ठीक चयन प्रक्रिया को उत्तीर्ण कर पहले अनुबंध आधार पर नौकरी लगे उसके बाद नियमित हुए । हपुटवा ने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के दूसरे शिक्षक संगठन हपुटा की भी निंदा की उन्होंने बताया कि हमारा दुर्भाग्य है कि हपुटा एक ऐसा शिक्षकों का संगठन है जो हमेशा शिक्षक विरोधी नीतियों का समर्थन करता है तथा एक विशेष राजनीतिक विचारधारा को लाभ पहुँचाने के लिए इस तरह की बयानबाज़ी कर रहा है हपुटा के पदाधिकारियों को इस तरह की बचकानी बयानबाज़ी नहीं करनी चाहिए ।
हपुटवा ने बताया कि यह बिल महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय के शिक्षकों में असंतोष को बढ़ावा दे रहा है इस विधेयक के विरोध में हपुटवा का एक प्रतिनिधिमंडल माननीय राज्यपाल जी से भी मिल चुका है । हपुटवा ने सरकार से एक बार फिर इस कर्मचारी विरोधी बिल पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है