
शिमला/विवेकानंद वशिष्ठ :- दीपक प्रोजेक्ट वर्कर्स यूनियन संबंधित सीटू का शिमला जिला का सम्मेलन सीटू कार्यालय शिमला में हुआ। सम्मेलन में सोलह सदस्यीय कार्यकारिणी का गठन किया गया जिसमें प्रेम लाल को अध्यक्ष, ललित कुमार को महासचिव, मोहन लाल को कोषाध्यक्ष, राजेंद्र रिक्की को उपाध्यक्ष, जोगिंद्र कुमार को सचिव, विरेंद्र, खुशी राम, कमला देवी, हेत राम, कपिल, नरेश, हीरानंद, वेद राज, हेमराज, जीत राम व धर्म प्रकाश को कार्यकारिणी सदस्य चुना गया। यूनियन ने निर्णय लिया है कि बीआरओ मजदूरों की मांगों को लेकर मार्च महीने में हड़ताल की जाएगी व बीआरओ के सैंकड़ों मजदूर शिमला में विशाल रैली करेंगे।

सम्मेलन का उद्घाटन सीटू जिलाध्यक्ष कुलदीप डोगरा व समापन प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने किया। सम्मेलन की रिपोर्ट बालक राम ने रखी। वक्ताओं ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार व बीआरओ अधिकारी मजदूरों का शोषण कर रहे हैं। मजदूरों को न्यूनतम सुविधाएं भी नहीं मिल रही हैं। उन्हें श्रम कानूनों के तहत मिलने वाली ईपीएफ, ईएसआई, उचित बोनस, छुट्टियों, ग्रेच्युटी, पेंशन, उचित आवासीय सुविधाओं से वंचित रखा जा रहा है। उन्हें कोई भी सामाजिक सुरक्षा नहीं है। यूनियन ने हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय से नौकरी में नब्बे दिन के बाद ब्रेक को रुकवाने में तो सफलता हासिल कर ली थी परंतु देश के श्रम कानूनों को आज भी बीआरओ में लागू नहीं किया जाता है।

देश के श्रम कानूनों की सरेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। श्रमिक कल्याण के तहत मिलने वाले आर्थिक लाभ भी मजदूरों को काफी समय से नहीं मिल रहे हैं। मजदूरों को सर्दी व गर्मी अनुसार वर्दी नहीं दी जा रही है। उन्हें जैकेट, दस्ताने, जूते जैसी बुनियादी सुविधाएं भी नहीं दी जा रही हैं। उनके अक्तूबर 2024 में बढ़े हुए वेतन के एरियर का भी भुगतान नहीं किया गया है। उन्हें भेड़ बकरियों की तरह टिप्परों में लादकर कई कई किलोमीटर दूर तक डयूटी के लिए ले जाया जाता है। मजदूरों की स्थिति दयनीय है। यूनियन इसके खिलाफ आंदोलन का बिगुल बजाएगी।
उन्होंने कहा है कि धामी शिमलो डेट मे 4 मज़दूरों से शाम 4 बजे से सुबह 8 बजे तक 16 घंटे चौकीदारी का काम करवाया जाता है। प्रबधन उन्हें सिर्फ 8 घंटे वेतन का भुगतान करता है। उक्त मज़दूर वर्ष 2022 से लगातार रात्रि में 16 घण्टे काम कर रहे हैं। इसलिए मज़दूरों को बकाया ओवरटाइम वेतन का भुगतान एरियर के रूप में किया जाए। श्रमिकों को कार्यस्थल पर ले जाने के लिए बहुत सीमित वाहन मुहैया करवाए जाते हैं। ऐसे में श्रमिकों को मवेशियों की तरह वाहनों पर चढ़ने के लिए मजबूर होना पड़ता है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए कर्मचारियों की संख्या के आधार पर वाहनों की संख्या बढ़ाई जाए तथा बंद केबिन वाली गाड़ी उपलब्ध करवाई जाए। आकस्मिक भुगतान वाला श्रमिक खराब मौसम में काम कर रहे हैं। उन्हें गर्म जैकेट और दस्ताने उपलब्ध नहीं करवाए गए हैं। इस मांग की तात्कालिकता को देखते हुए इस पर तुरंत विचार किया जाए। श्रमिकों को बोनस भुगतान अधिनियम, 1965 के आधार पर उचित बोनस दिया जाए। वर्तमान में उन्हें बहुत कम बोनस दिया जा रहा है। बोनस की सभी विसंगतियों को दूर किया जाए और एरियर सहित उचित बोनस जारी किया जाए। श्रमिकों को साप्ताहिक अवकाश के अतिरिक्त उचित अर्जित, आकस्मिक, चिकित्सा, त्यौहार, मातृत्व एवं पितृत्व अवकाश प्रदान किया जाए। इन छुट्टियों की अनुपलब्धता के कारण, श्रमिकों को या तो अनुपस्थित चिह्नित किया जाता है या उनकी डयूटी से छुट्टी कर दी जाती है। उन्हें या तो कई महीनों अथवा दिनों के बाद ड्यूटी पर वापिस ले लिया जाता है या फिर कभी डयूटी पर वापिस नहीं लिया जाता है। यह श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा के खिलाफ है और कानून विरोधी है। आंगनवाड़ी जैसी योजना कार्यकर्ताओं के संबंध में माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के मद्देनजर ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम 1972 के तहत ग्रेच्युटी के प्रावधानों को बीआरओ मजदूरों के लिए सख्ती से लागू किया जाए। आकस्मिक वेतन वाले श्रमिकों को इस ऐतिहासिक निर्णय के तहत ग्रेच्युटी के प्रावधानों में और अन्यथा अधिनियम के प्रावधानों के तहत कवर किया जाए। बीआरओ के आकस्मिक भुगतान वाले श्रमिकों को कर्मचारी भविष्य निधि और विविध प्रावधान अधिनियम, 1952 के तहत ईपीएफ योजना में शामिल किया जाए। बीआरओ के आकस्मिक भुगतान वाले श्रमिकों को प्रबंधन से ही काम करने वाले उपकरण जैसे कुल्हाड़ी, दराट व अन्य समान उपलब्ध करवाया जाए। कई स्थानों पर कर्मचारी स्वयं ही उपकरण खरीदने को मजबूर हैं। यह घोर अन्याय और शोषण है। मज़दूर जब शिकायत लेकर अधिकारियों के पास जाते हैं तो अधिकारी मज़दूरों क़ी मांगों को अनसुना करते हैं। इस प्रथा को तुरंत बंद किया जाए।
