
शिमला/विवेकानंद वशिष्ठ :- राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय घन्डल शिमला से 43 दैनिक भोगी कर्मचारियों को गैर कानूनी तरीके से नौकरी से निकालने के खिलाफ सीटू के बैनर तले कर्मचारियों ने डीसी ऑफिस शिमला के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया।

सीटू ने कर्मचारियों को नौकरी से निकालने के कदम व विश्वविद्यालय प्रशासन के व्यवहार को तानाशाही करार दिया है। प्रदर्शन में सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा, उपाध्यक्ष जगत राम, जिलाध्यक्ष कुलदीप डोगरा, कोषाध्यक्ष बालक राम, विवेक कश्यप, विरेंद्र लाल, सरीना, उमा, चमन, प्रताप चौहान, पूर्ण चंद, कपिल नेगी, रामप्रकाश, आशा, पंकज, हेमराज, रजनीश, चंद्रमोहन, हेमंत, धर्मेंद्र, रणधीर, मीरा, राजेश, दुर्गादत्त, पुष्पेंद्र, ज्योति, रामप्यारी, रचना, चंदन, हेमा, दीपशिखा, अनीता, निर्मला, जीत, सोहन लाल, हनींद्र, अनूप आदि शामिल रहे। सीटू ने चेताया है कि अगर मजदूरों की तुरंत बहाली न हुई तो आंदोलन तेज होगा।

प्रदर्शन को संबोधित करते हुए विजेंद्र मेहरा, जगत राम, कुलदीप डोगरा, बालक राम, विवेक कश्यप, विरेंद्र लाल, कपिल नेगी, आशा, पंकज, रजनीश कुमार व हेमराज ने कहा कि आंदोलन के अगले चरण में प्रदर्शन श्रम कार्यालय शिमला के बाहर होगा क्योंकि इन मजदूरों को नौकरी से निकाले हुए एक महीने से ज्यादा का समय बीत चुका है परंतु श्रम विभाग में औद्योगिक विवाद खड़ा करने के बावजूद श्रम विभाग ने कोई भी समझौता वार्ता बुलाने की जहमत नहीं उठाई है। उन्होंने कहा कि छात्रों को कानून की पढ़ाई करवाने वाले विधि विश्वविद्यालय में सरेआम कानून का गला घोंटा जा रहा है। मजदूरों को हायर एंड फायर नीति के तहत गैर कानूनी तरीके से नौकरी से निकालना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। ये कर्मचारी पिछले कई वर्षों से सफाई, सुरक्षा, हॉस्टल अटेंडेंट, ड्राइवर, कारपेंटर, इलेक्ट्रीशियन, पलंबर सहित तकनीकी कर्मी के रूप में विश्वविद्यालय में कार्यरत थे। इन मजदूरों को केंद्र सरकार का न्यूनतम वेतन भी नहीं दिया जा रहा था। इनसे बारह घंटे तक कार्य करवाया जाता था व इन्हें इसके बदले कभी भी डबल ओवरटाइम वेतन का भुगतान नहीं किया गया। इनसे अपनी श्रेणी के अलावा बिना वेतन के कई तरह के अतिरिक्त कार्य करवाए जाते थे। इन्हें ईपीएफ, ईएसआई, मेडिकल सुविधा, छुट्टियों की कोई भी सुविधा नहीं दी जाती थी। कर्मचारियों की कम संख्या के कारण इनसे ज्यादा कार्य करवाया जाता था। इनसे अपनी श्रेणी के अलावा अतिरिक्त कार्य करवाने पर इन्हें कभी भी अतिरिक्त वेतन का भुगतान नहीं किया गया। इन कर्मचारियों का भारी शोषण हो रहा था। इन कर्मचारियों की नियुक्ति पूर्ण प्रक्रिया को अपनाते हुए साक्षात्कार के जरिए की गई थी। अब इन्हें बिना कारण बिना नोटिस के नौकरी से निकालना देश के कानून के विरुद्ध है। यह हायर एंड फायर है जिसकी इजाजत देश का कानून नहीं देता है।
उन्होंने मांग की है कि राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय से नौकरी से निकाले गए 43 कर्मचारियों को तुरंत बहाल किया जाए। कर्मचारियों को 90 दिन बाद ब्रेक देना बंद किया जाए। दैनिक भोगी कर्मचारियों को तुरंत रेगुलर किया जाए। कर्मचारियों की गैर कानूनी छंटनी बंद की जाए। कर्मचारियों को गैर कानूनी तरीके से नौकरी से निकालना बंद किया जाए। राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय में हायर एंड फायर की नीति बंद की जाए। विधि विश्वविद्यालय में श्रम कानून लागू किए जाएं।
