चिन्हित स्थान पर ही लगे महाराणा प्रताप की मूर्ति : पंकज भारतीय

हमीरपुर/विवेकानंद वशिष्ठ :-    प्रखर देशभक्त
चिन्हित स्थान पर ही लगे महाराणा प्रताप की मूर्ति
हमीरपुर प्रखर देशभक्त, देश के युवाओं में अपनी मातृभूमि के प्रति अगाध, श्रद्धा, प्रेम और त्याग जैसे गुणों को विकसित करने वाले मेवाड़ के महाराज महाराणा प्रताप की सुजानपुर में लगने वाली भव्य मूर्ति को लेकर उठे विवाद पर विश्व हिंदू परिषद हिमाचल प्रदेश ने तीखी प्रतिक्रिया दी है।

 

विश्व हिंदू परिषद हिमाचल प्रदेश के प्रांत सह मंत्री पंकज भारतीय ने कहा कि जब समाज ने तय किया है की महाराणा प्रताप की मूर्ति सुजानपुर में उसके सौंदर्य करण के दौरान किसी निश्चित स्थान पर लगाई जनि थी तो फिर किसके बहकावे में आकर वहां के तथाकथित जिहादी मानसिकता वालों ने बदलने की मांग की. उन्होंने कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण है की आजाद भारत में भी अपने महापुरुषों के सम्मान में लगने वाले प्रतीक का विरोध किया जा रहा है।

 

उन्होंने कहा पांच शताब्दियों के बाद भी महाराणा प्रताप का खौफ मुगलों के पैरोंकारों के मन से अभी तक गया नहीं है

भारतीय ने स्पष्ट किया की जिला प्रशासन और सुजानपुर नगर परिषद को किसी के दबाव में ना आकर समस्त समाज की भावनाओं का सम्मान करते हुए उक्त मूर्ति को चिन्हित स्थान पर ही लगाना चाहिए. उन्होंने कहा कि विगत 500 वर्षों में हिंदू समाज के मंदिरों को तोड़कर तो मस्जिदों का निर्माण हुआ है।

 

उन हिंदुओं के मानबिंदुओं का अपमान भी किया गया, उन्हें त्रिस्कृत भी किया गया और उनकी पुनः गरिमा पूर्ण बहाली के लिए हिंदू समाज ने वर्षों तक संघर्ष भी किया, परंतु यह अत्यंत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिस कार्य को प्रशासन स्वयं करने जा रहा हो उसको कुछ बाहरी क्षेत्र से आए हुए लोग स्थानीय लोगो को बहकाकर चुनौती देने का प्रयास करें।

 

उन्होंने कहा की सुजानपुर नगर परिषद और उसके सभी पार्षदों का हिंदू समाज हृदय से आभार प्रकट करता है कि उन्होंने ऐसी सकारात्मक सोच के साथ अपनी युवा पीढ़ी को प्रेरणा देने के लिए महापुरुषों के प्रतीक को स्थापित करने का निर्णय लिया है. इसमें संपूर्ण समाज को सहयोग करना चाहिए और एक सकारात्मक वातावरण का निर्माण करना चाहिए।

भारतीय ने सुजानपुर के स्थानीय मुस्लिम समाज से भी इस संदर्भ में आगे बढ़कर खुले मन से सहयोग करने की बात कही. उन्होंने कहा की महाराणा प्रताप भारत की अस्मिता के प्रतीक है और यह मुस्लिम समाज भी भारत का ही यदि अपने को समझता है तो उसे भारतीय महापुरुषों को अपनाना होगा।