नशे के प्रभावी रूप से फैलने से पहले ही उठाई थी नशे के विरुद्ध आवाज – नैंसी अटल

शिमला/विवेकानंद वशिष्ठ  :-   प्रदेश मंत्री नैंसी अटल ने बयान जारी करते हुए कहा कि हिमाचल प्रदेश में बढ़ता चिट्टे जैसा नशा बेहद प्रभावी रूप से अपना रूप धारण करते हुए नज़र आ रहा है। और विद्यार्थी परिषद द्वारा नशे के हिमाचल में आने के पहले चरण में ही इसका विरोध शुरू कर दिया गया था।

 

लेकिन प्रदेश सरकार द्वारा विद्यार्थी परिषद की नशे के खिलाफ कदम उठाने की मांग को हल्के में लिया गया। जिसके कारण आज हमें हिमाचल के युवा चिट्टे जैसे नशे के चपेट में आकर बर्बाद होते दिखाई दे रहें हैं। हिमाचल प्रदेश में लगातार बढ़ती नशा तस्करी एवं युवाओं में नशाखोरी एक चिंता का विषय है।

हिमाचल में बढ़ रहा नशा ही होगा युवाओं के भविष्य के दहन का कारण – अभाविप

पिछले 5 से 10 वर्षों में लगातार नशे में संलिप्तता के दर्ज किया जा रहे केसों में वृद्धि हो रही है। अगर हम 2015 से आंकड़ों की बात करें तो वर्ष 2015 में नशे के 622 मामले सामने आए, 2016 में 929, 2017 में 1010, 2019 में 1345, 2022 और 2023 में 2000+ मामले और 2024 में 2515 अपराधियों को पकड़ा गया है। जिसमें 2 विदेशी एवं 112 महिलाएं भी शामिल हैं। इन आंकड़ों को देख कर हमें इसका ग्राफ बढ़ता हुआ ही नज़र आ रहा है। 13 महीने के अंतराल में ही NDPS के करीब 1943 मामले दर्ज किए गए हैं। अगर हम पुलिस द्वारा जारी किए आंकड़ों की बात करें तो 2023 में 10.18kg चिट्टा, 321kg चरस, 648.8kg पॉपी हस्क जैसे और भी अन्य नशीले पदार्श बरामद किए गए हैं।ऐसे हे 2024 में 12.04 kg चिट्टा हिमाचल में बरामद किया गया है।

अभिनिवृति” अभियान के तहत नशे को जड़ से खत्म करेगा विद्यार्थी परिषद – नैंसी अटल

हिमाचल प्रदेश में कुछ सामाजिक, सरकारी और ग़ैर सरकारी संगठनों के द्वारा किए गए सर्वेक्षणों के अनुसार प्रदेश में औसतन 35-36% नशे का प्रचलन हो चुका है! यह आँकड़े सर्वे किए गए सैंपल्स में से निकल कर आये हैं! हिमाचल प्रदेश नशा निवारण बोर्ड के द्वारा 2020 के मध्य में कुल 27 नशा मुक्ति केंद्रों में किए गए (कोविड -19 के दौरान ) किए गए सर्वे के अनुसार 15-40 वर्ष की आयु सीमा में चिट्टे की लत्त के लगभग 39% मरीज; चरस भांग के 22.64%। शराब के 21.36% मरीज़ पाए गए थे! बाक़ी मरीज़ सिंथेटिक ड्रग्स जिनमे अधिकतर पेन किलर्स व अन्य नशीली दवाओं के दुरुपयोग से संबंध रखने वाले पाए गए थे!

हिमाचल प्रदेश में नशे का सबसे बड़ा कारण अकेलेपन का शिकार होना, बच्चों का अभिभावकों parents के द्वारा अकेले छोड़ देना और संपर्क, विश्वास क़ायम न करना है ! जिस कारण स्कूल कॉलेज में बुरे दोस्तों के अधीन हो जाना और ड्रग्स की सप्लाई चैन का हिस्सा बन कर आपराधिक गतिविधियों में शामिल हो जाना है! एक और कारण यह है कि युवा ऊर्जा को सकारात्मक दिशा में उपयोग करने के मैकेनिज्म प्रदेश में ना होना! खेलों में रुचि न होना और मोबाइल फ़ोन की लत से शरीर और मन दोनों का डिसफंक्शनल हो जाना परिणामस्वरूप स्ट्रैस में चले जाना , अवसाद का शिकार होना और बचने के चक्कर मे नशीले पदार्थो का सेवन कर के पूरे परिवार को मनो रोगी बना देना। तरुणावस्था में कुछ नया प्रयोग करना और मज़ा/ आनंद लेने के चक्कर में और दोस्तों की संगति में युवा चरस से चिट्टे की तरफ आकर्षित हो कर ज़िंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं।

विद्यार्थी परिषद ने प्रदेश में फैलते नशे की गंभीरता को देखते हुए विद्यार्थी परिषद ने एक प्रदेश स्तरीय समिति बनाकर नशे के खिलाफ *”अभिनिवृति”* नाम से एक अभियान चलाने का निर्णय लिया गया है। जिसके अंतर्गत इस प्रेस वार्ता के बाद प्रत्येक जी केंद्रों पर विद्यार्थी परिषद प्रेस कॉन्फ्रेंस करेगा। इसके बाद 28 फरवरी से 5 मार्च तक इस अभियान के निमित्त इकाई स्तर पर विद्यार्थी परिषद एसडीएम, डीसी, एसपी, जनप्रतिनिधि, माननीय मुख्यमंत्री एवं माननीय राज्यपाल जी को ज्ञापन सपेगी। इसके बाद 05 मार्च से 10 मार्च तक विद्यार्थी परिषद नशे के खिलाफ पर्चा वितरण एवं पोस्टर बांटेगी एवं जगह-जगह पर लगाएगी ताकि इसको पढ़ कर एवं देखकर युवाओं में जागरूकता पैदा हो। इसके बाद इसी अभियान के निमित जन जागरण रैलियां इकाई स्तर एवं विश्वविद्यालय में 07 मार्च को करेगी। इसके बाद विद्यार्थी परिषद द्वारा संगोष्ठियां एवं शोध द्वारा सिंपोजियम का आयोजन 03 मार्च से 6 मार्च तक करेगी। इसके बाद राष्ट्रीय कला मंच के माध्यम से जिला केंद्रों पर नुक्कड़ नाटक एवं बड़े बड़े कार्यक्रमों के माध्यम से भी समाज में युवाओं को एवं जनता को जागरूक करने का काम विद्यार्थी परिषद करेगी।

पुलिस द्वारा चिट्टे जैसे नशा तस्करी के केस में लगातार अपरधियों को पकड़ा जा रहा है। परंतु इससे कई गुना ज्यादा नशा तस्करी एवं नशाखोरी के मामले रिपोर्ट ही नहीं हो रहे हैं। क्योंकि यह बीमारी बहुत नीचे तक अपने पैर प्रसार चुकी है। प्रदेश में नशा माफिया दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है लेकिन प्रदेश सरकार नशा माफिया पर अंकुश लगाने में भी असफल होती नजर आ रही है। अब प्रदेश की स्थिति दिन प्रतिदिन ऐसी बिगड़ती जा रही है की हर दिन चिट्टे जैसे खतरनाक नशीले पदार्थों की घटनाओं के बारे में लगभग हर दिन सुनने को मिल रहा है। नशाखोरी के विभिन्न स्वरूप जिसमें प्रमुखता चिट्टा, अफीम, भांग क्या उपयोग हो रहा है।

नशाखोरी के प्रमुख कारणों में युवाओं में बढ़ती बेरोजगारी, कौशल आधारित शिक्षा का अभाव, डिप्रैशन ग्रस्त युवा एवं व्यवसायिक शिक्षा की गुणवत्ता में कमी होना है। जिसके लिए सरकार और प्रशासन को ध्यान देना एवं ठोस कदम उठाने चाहिए। विद्यार्थी व युवा देश का भविष्य ही नहीं बल्कि देश का वर्तमान भी हैं। अगर देश का वर्तमान ही नशा माफिया के चंगुल में फंसकर अपना भविष्य अंधकारमय बना देगा तो देश का भविष्य भी सुरक्षित नहीं होगा। अभाविप, नशा माफिया के पूरे गठजोड़ पर करारी चोट करते हुए उनपर कठोरतम कार्रवाई करने की मांग करती है ताकि देश का वर्तमान और भविष्य दोनों सुरक्षित हों।