

बिलासपुर/विवेकानंद वशिष्ठ :- प्रदेश में शिमला के चौड़ा मैदान में कंपनियों से निजात दिलाने की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे आउटसोर्स वोकेशनल टीचर्स के समर्थन में शिक्षाविद सुमन प्रजापति ने अपनी आवाज बुलंद की है। उन्होंने मांग की है कि वोकेशनल टीचर्स को शिक्षा विभाग में मर्ज किया जाए ताकि उन्हें स्थायी रोजगार और बेहतर सुविधाएं मिल सकें।


सुमन प्रजापति ने कहा कि प्रदेश में सरकारी स्कूलों में कार्यरत वोकेशनल टीचर्स शिक्षा प्रणाली का अहम हिस्सा हैं और उनका योगदान छात्रों के व्यावसायिक विकास में महत्वपूर्ण है। लेकिन उन्हें अभी तक सरकारी शिक्षकों के समान दर्जा नहीं दिया गया है।


उन्होंने सरकार से अपील की कि इन शिक्षकों की मांगों को जल्द से जल्द पूरा किया जाए ताकि वे आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा प्राप्त कर सकें। उनका कहना है कि ये शिक्षक शिक्षा व्यवस्था का अभिन्न हिस्सा बन चुके हैं और छात्रों को तकनीकी व व्यावसायिक शिक्षा देकर उन्हें आत्मनिर्भर बना रहे हैं। ऐसे में सरकार को उनकी स्थायी नियुक्ति सुनिश्चित करनी चाहिए।



उन्होंने बताया कि 2174 वोकेशनल टीचर लबें समय से निजी कंपनियों के माध्यम से प्रदेश के सरकारी स्कूलों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं और अब उन्हें नियमित किए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने सरकार से इस मुद्दे पर ठोस कदम उठाने की मांग की है।
सवाल उठना लाजमी है कि आखिर! शिक्षा विभाग कंपनियों के माध्यम से वोकेशनल एजुकेशन देने पर क्यों मजबूर है? क्यों शिक्षा विभाग को निजी कंपनियों का सहारा लेना पड़ रहा है? क्या शिक्षा विभाग के पास सीमित संसाधन और आवश्यक बुनियादी ढांचे के अभाव है? जिस कारण शिक्षा विभाग को यह फैसला क्यों लेना पड़ा? क्या शिक्षा विभाग कमजोर हैं जो वोकेशनल एजुकेशन के लिए निजी कंपनियों जैसी बैसाखियों का सहारा लेना पड़ रहा है ।


देखा जाए तो शिक्षा विभाग आवश्यक आधुनिक संसाधन उपलब्ध न होने की वजह से निजी कंपनियों की भागीदारी के जरिए इस योजना को आगे बढ़ा रहा है। इस व्यवस्था के कारण सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है ।
क्योंकि इन कंपनियों का ध्यान मुनाफे पर अधिक होता है और वे छात्रों के समग्र विकास के बजाय केवल पैसा बटोरने तक सीमित रह गई हैं। सुमन प्रजापति ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि “ आधुनिक रोजगारपरक शिक्षा” सरकार की प्राथमिक ज़िम्मेदारी होनी चाहिए और इस प्रकार की निजीकरण की नीति से सरकारी स्कूलों की स्थिति और कमजोर होती जा रही है।
अगर सरकार वोकेशनल टीचर को विभाग के अधीन लेते है तो व्यावसायिक शिक्षा प्रणाली पर अधिक गुणात्मक- सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और वोकेशनल टीचर का भविष्य सुरक्षित होगा ।
सुमन प्रजापति ने आरोप लगाया कि शिक्षा विभाग की लापरवाही के कारण हजारों वोकेशनल टीचर्स असुरक्षित भविष्य की ओर बढ़ रहे हैं। “जब अन्य शिक्षकों का शिक्षा विभाग में मर्ज़ किया जा सकता है, तो फिर वोकेशनल टीचर्स के साथ भेदभाव क्यों?” सरकार को उनकी स्थायी नियुक्ति सुनिश्चित करनी चाहिए। ताकि उन्हें भी अन्य शिक्षकों की तरह स्थायी रोजगार का लाभ मिल सके।



