

शिमला/विवेकानंद वशिष्ठ :- आज तीसरे दिन देवभूमि क्षत्रिय संगठन सवर्ण मोर्चा टीम, राष्ट्रीय देवभूमि पार्टी टीम द्वारा काली पट्टी बांधकर विरोध किया जा रहा है।


एक तरफ महिला को नारी शक्ति कहा जाता है, दूसरी तरफ इस नारी शक्ति की कीमत तय करती जाती है। जहां नारी को देवी स्वरूप माना जाता है, कन्या के रूप में पूजा जाता है, वहीं दूसरी तरफ उससे शादी करने के लिए उसकी दो लाख रुपए कीमत तय कर दी जाती है।


जो नारी के स्वाभिमान और अभियान के ऊपर बहुत बड़ी चोट है। बेटी किसी की भी हो मतलब किसी जाति किसी धर्म की हो,बेटी बेटी होती है ।और किसी की भी बेटे की कीमत नहीं लगनी चाहिए ।



इस फैसले से समस्त बेटियों का बहनों का और नारी शक्ति का अपमान किया गया है ,राजनीतिक पार्टियों की रैलियां में नारी शक्ति व जनता नारी शक्ति जिंदाबाद के नारे लगाती है ,लेकिन आज उन नारी शक्ति जिंदाबाद करने वाली फटा गैंग्स इतने बड़े स्तर पर महिलाओं का अपमान होने पर चुप है ,मौन है, मुंह बंद है सबके, कोई कुछ नहीं बोल रहा, नारी का अपमान किसी को नहीं दिख रहा, यह बेटी यह बहन वह नारी है जो देवी के रूप में काली है, चंडी है ,दुर्गा है, जोहर करने वाली मां पद्मावती है ,रानी लक्ष्मीबाई है।
लेकिन सब चुप ,सब मौन ,सब खामोश, किसी को नारी का अपमान नहीं दिखाई दे रहा। सिर्फ देवभूमि क्षत्रिय संगठन सवर्ण मोर्चा राष्ट्रीय देवभूमि पार्टी के लोग पूरे प्रदेश में इस फैसले का विरोध करते नजर आ रहे हैं, बाकी सब मुंह पर पट्टी बांधकर बैठे हैं शर्मनाक ।


सरकार के इस दुर्भाग्यपूर्ण फैसला के खिलाफ आज हम लोग काली पट्टी बांधकर बैठे हैं। दूसरा जिस प्रकार से देश के संविधान के अनुरूप हमें हमारा विरोध दर्ज करने का अधिकार है, यह देश का संविधान 140 करोड लोगों का संविधान है।
इस देश के संविधान के ऊपर जहां अन्य जातियों ,अन्य धर्म के लोगों का अधिकार है ,वहीं पर सवर्ण समाज का अधिकार भी इस देश के संविधान के ऊपर है ,और जिस प्रकार से हमें इस देश इस संविधान से अलग किया जा रहा है, वह आज तक का सबसे दुर्भाग्यपूर्ण विषय इस देश में रहने वाले सवर्ण समाज के लिए है।
इस देश का संविधान न किसी जाति विशेष का है, ना किसी व्यक्ति विशेष का है ,ना किसी धर्म विशेष का है, इस देश का संविधान 140 करोड लोगों का है। संविधान के आर्टिकल देश के 140 करोड लोगों के लिए, किसी व्यक्ति विशेष या जाति विशेष के लिए नहीं।
सवर्ण आयोग हमारा हक हमारा अधिकार है, जिसको प्रदेश सरकार को इस मांग को पूरा करना पड़ेगा। 24 अप्रैल को सचिवालय घेराव होगा,

जिसमें दो मुख्य मांगे हैं अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन राशि का फैसला सरकार वापस ले ,बेटी के मान-सम्मान स्वाभिमान पर चोट ना करें ।और दूसरा सवर्ण आयोग की मांग को पूरा करें।
मांग पुरी की जाएगी तो प्रदेश सरकार का प्रदेश के मुख्यमंत्री साहब का ऐतिहासिक स्वागत अभिनंदन देवभूमि क्षत्रिय संगठन सवर्ण मोर्चा के माध्यम से किया जाएगा ।अगर मांगे 24 अप्रैल तक नहीं मानी जाती तो परिणाम 10 दिसंबर धर्मशाला आंदोलन से गंभीर होंगे।


