

शिमला/विवेकानंद वशिष्ठ :- जो लोग यहाँ बैठकर भारतीय टीवी चैनल के उन्मादी प्रसारण पर विरोध जता रहे हैं, उन्हें शायद यह नहीं पता है कि पाकिस्तान के चैनल्स के हिसाब से पाकिस्तान दिल्ली तक चढ़ चुकी है और दिल्ली वाले दिल दिल पाकिस्तान गा रहे हैं।


लोगों को इतना भी सेंस नहीं है कि जब युद्ध चल रहा होता है तो दोनों पक्ष के जनबल और अस्त्र शस्त्र का नुक़सान होता है। लेकिन युद्ध के समय केवल और केवल शत्रु पक्ष के कितने लोगों का सफाया हुआ, यह गिना जाता है।


कल्पना करिए कि युद्ध चल रहा हो और खबर आए कि आपके अपने ही पक्ष के इतने जहाज गिरा दिए गए। आपका पायलट शहीद हो गया, तो उस समय देश की जनता में कैसा पैनिक उत्पन्न होगा?



युद्ध केवल सीमा पर सेना नहीं लड़ती। उस लड़ाई के पीछे सरकार होती है और सरकार के पीछे जनता। जनसमर्थन से सरकार सैनिकों के साथ खड़ी रहती है। इसलिए बीच युद्ध के दौरान ही सत्य के पुजारी न बनें। सबको पता है कि ऐसे समय में हमारा भी कुछ न कुछ नुकसान हुआ होगा, पर वह बाद में गिना जाएगा।
आपकी लड़ाई एक ऐसे देश से है जो तीन तीन युद्ध हारने के बावजूद उन युद्धों का मेडल अपने सीने पर लगाये घूमती है। उनके 90% जनता के मुंह से निकलता है कि हमारे अंदर जज्बा है, हमने ही सब जंगे जीती हैं। वह सर्जिकल स्ट्राइक के बाद कहते हैं कि हमें कुछ नहीं हुआ, एयर स्ट्राइक के बाद कहते हैं कि कौवे मरे हैं।


आप उनसे कल्पना करते हैं कि भारत ने उनके सैन्य प्रतिष्ठानों पर जो कल रात हमला किया है उसकी 4K क्वालिटी में रिकॉर्डिंग करके आपको दिखाने आयेंगे?
पाकिस्तान की कब क्या स्थिति है, उसको समझने के लिए अपना दिमाग़ खुला रखिए।
जब पाकिस्तान के हिंदुस्तान में रहने वाले एसेट ये कहें कि भारत हमला क्यों नहीं कर रहा? इसका मतलब पाकिस्तान तैयारी करके बैठा है और जैसे ही ये चिल्लाने लगे कि युद्ध ग़लत है, युद्धोन्माद में देश जा रहा है, ऐसा नहीं होना चाहिए, इसका मतलब युद्ध आपके पक्ष में है।
खैर गलती हमारे भारतीय लोगों की भी नहीं है, भारतीय व्यक्ति पाकिस्तान को हराने का तो सामर्थ्य रखता है लेकिन उस स्तर की कमीनगी कर पाना असंभव सा है। इसलिए युद्ध के दौरान केवल एक गुण काम का है और वह है उन्माद।
सूचना युद्ध में, धारणा (Perception) ही युद्ध का मैदान है।
अगर खबर पाकिस्तान को नुकसान पहुंचाती है – सच हो या झूठ – तो उसे बढ़ा-चढ़ाकर पेश करें। उसे पोस्ट करें। उसे शेयर करें। उसे वायरल करें। सीमा पार दहशत फैलने दें।

अगर खबर भारत को नुकसान पहुंचाती है – भले ही सच हो – तो उसे दफना दें। उसे दबा दें। फैलने से पहले उसे निरस्त्र कर दें।
यह पत्रकारिता नहीं है। यह युद्ध है। मनोवैज्ञानिक युद्ध मायने रखता है।
हर पोस्ट एक गोली है। अपने देश पर कभी गोली मत चलाओ।


