

शिमला/विवेकानंद वशिष्ठ :- अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद हिमाचल प्रदेश की प्रदेश मंत्री नैंसी अटल ने बयान जारी करते हुए कहां की कांग्रेस सरकार द्वारा प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में स्थित सरकारी स्कूलों को बंद करने एवं मर्ज (विलय) करने का जो निर्णय लिया गया है, वह पूरी तरह से शिक्षा विरोधी एवं छात्र विरोधी है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद इस निर्णय का कड़ा विरोध करती है।


ढाई साल में शिक्षा के क्षेत्र में एक भी सकारात्मक कदम उठाने में विफल प्रदेश सरकार:–नैंसी अटल


राज्य सरकार द्वारा सत्ता में आने के बाद से अब तक लिए गए अनेक निर्णय यह दर्शाते हैं कि वर्तमान सरकार की प्राथमिकता में शिक्षा नहीं है। ग्रामीण एवं दूरदराज़ क्षेत्रों में संचालित स्कूलों को बंद करना वहाँ के विद्यार्थियों के लिए शिक्षा तक पहुँच को और अधिक कठिन बना देगा। इससे न केवल छात्रों की पढ़ाई बाधित होगी, बल्कि शिक्षकों की नियुक्ति व स्थायित्व पर भी प्रश्नचिह्न खड़ा होता है।



विद्यार्थियों के भविष्य से खिलवाड़ बंद करे प्रदेश सरकार: अभाविप
प्रदेश मंत्री नैंसी अटल ने कहां की हिमाचल प्रदेश सरकार सत्ता में आते ही वर्ष 2023 में 286 स्कूलों को बंद कर दिया गया, 2024 में 99 स्कूल बंद किए गए, और अब 2025 में 70 और स्कूलों को बंद करने का प्रस्ताव कैबिनेट में लाया गया है।


शिक्षा व्यवस्था को कमजोर करने में जुटी सरकार:–नैंसी अटल
यह निर्णय न केवल दुर्भाग्यपूर्ण है, बल्कि प्रदेश के बच्चों के भविष्य के साथ सीधा खिलवाड़ है। जब जरूरत थी शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने और संसाधनों को बढ़ाने की, तब सरकार ने स्कूल बंद कर ग्रामीण और दूरदराज़ क्षेत्रों के विद्यार्थियों को शिक्षा से वंचित करने का काम किया है। यह फैसला प्रदेश की शिक्षा नीति पर गहरा प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है। सरकार को चाहिए कि वह स्कूलों को बंद करने के बजाय उन्हें सशक्त बनाए और शिक्षा को हर विद्यार्थियों तक पहुँचाने की दिशा में ठोस कदम उठाए।*
प्रदेश मंत्री नैंसी अटल ने कहां की वर्तमान सरकार ने पिछले ढाई वर्षों में शिक्षा क्षेत्र को मज़बूत करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। न नई भर्तियाँ हो रही हैं, न पर्याप्त आधारभूत सुविधाओं का विकास किया गया है। उच्च शिक्षा संस्थानों में भी रिक्त पद भरे नहीं जा रहे हैं, जिससे छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। सरकार का यह रवैया प्रदेश के भविष्य के साथ खिलवाड़ है।
अभाविप हिमाचल प्रदेश यह माँग करती है कि प्रदेश सरकार इस शिक्षा विरोधी निर्णय को तुरंत वापस ले एवं प्रत्येक क्षेत्र में विद्यार्थियों की पहुँच योग्य और सुलभ शिक्षा तक सुनिश्चित करे। यदि सरकार ने इस निर्णय पर पुनर्विचार नहीं किया तो विद्यार्थी परिषद प्रदेशव्यापी आंदोलन करेगी।



