आज़ाद भारत की ताकत थे, नेहरू जी: संदीप सांख्यान

हमीरपुर/विवेकानंद वशिष्ठ :- प्रदेश कांग्रेस के पूर्व मीडिया कॉर्डिनेटर संदीप सांख्यान ने कहा आज़ाद भारत की ताकत थे नेहरू और उनकी प्रासंगिकता आज भी है। संदीप सांख्यान ने कहा कि जब देश आजाद हुआ, अमेरिका और इंग्लैंड भारत को एक कंगाल देश की तरह मुँह फाड़े देख रहे थे।

 

नेहरू जी आज प्रासंगिक हैं… संदीप सांख्यान

 

देश में न खाने को अन्न था न तन ढ़कने के लिए कपड़ा था, कितनी भयंकर स्थिति रही होगी, ऐसे में सम्राज्यवादी ताकतें फिर से भारत को हड़पने की ताक में थी। उस समय देश को ताकत देकर प्रथम प्रधानमंत्री स्व. जवाहर लाल नेहरू जी ने विश्व में निर्गुटीय अवधरणा का विचार देकर देश को खड़ा करने की कोशिश की, अंतराष्ट्रीय सम्बन्धों को अपनी लियाकय के बल पर आगे बढ़ाया, औद्योगिक क्रांति की तरफ देखना शुरू किया, प्रथम पंचवर्षीय योजना में कृषि क्षेत्र की बुनियाद रखी।

 

नेहरू जी जनता की ज्यादा सुनना पसंद करते थे न कि सुनाना… संदीप सांख्यान

 

 

संदीप सांख्यान ने कहा कि आज भारत विज्ञान से लेकर अनुसंधान, राजव्यवस्था से लेकर अर्थव्यवस्था में तरक्की की जो फसल काट रहा है, उसका बीजारोपण नेहरू जी ने ही किया था। आजादी के बाद दुनिया जिस देश को बर्बाद होने की भविष्यावाणी कर रही थी, आज वो देश अपने विजनरी नेता नेहरू की बदौलत इस मुकाम तक पहुंच चुका है।

 

 

उन्होंने कहा कि आज देश के लोग अपने पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू जी को उनकी पुण्यतिथि पर दिल से याद करते हैं। संदीप सांख्यान ने कहा कि यह नेहरू जी का ही करिश्माई व्यक्तित्व का ही असर है कि मौजूदा राजनीति में भी नेहरू उतना ही प्रासंगिक हैं, जितना अपने समय में थे।

 

उन्होंने कहा कि साल 1947 में जब अंग्रेजों ने भारत छोड़ा तो देश में चारो तरफ गरीबी-गंदगी, कर्ज, अशिक्षा औऱ अंधविश्वास का आतंक था। बड़े बड़े देशों ने अनाज देने के बदले भारत को अपना पिछलग्गू बनाने की पूरी योजना ही बना डाली थी।

 

लेकिन हिंदुस्तान की किस्मत बुलंद थी, देश को नेहरू जैसा नेता मिला, जिसके पास दुनिया के बेहतरीन नेताओं से भी बेहतर नजरिया था। जो शांति का पुजारी था, लेकिन क्रांति का अग्रदूत। नजीतन, कुछ ही वर्षों के भीतर नेहरू की रहनुमाई में हिंदुस्तान बदहाली के दलदल से निकलकर दुनिया के नक्शे पर एक मजबूत और स्वाभिमानी देश के रूप में प्रतिष्ठित हुआ।

 

 

नेहरू और उनके बाद के किसी भी नेता के बीच हर मायने में बहुत लंबा अंतर है। नेहरू का सोचने,समझने और काम करने का तरीका शानदार था। वो जनता को सुनाने से अधिक जनता की सुनना पसंद करते थें।

 

 

संदीप सांख्यान ने कहा नेहरू जी एक ऐसे प्रधानमंत्री थे जिनकी शिक्षा उन्होंने हैरो से और कॉलेज की शिक्षा ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज (लंदन) से पूरी की थी। इसके बाद उन्होंने अपनी लॉ की डिग्री कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से पूरी की।

 

 

इंग्लैंड में उन्होंने सात साल व्यतीत किए जिसमें वहां के फैबियन समाजवाद और आयरिश राष्ट्रवाद के लिए एक तर्कसंगत दृष्टिकोण विकसित किया और एक दार्शनिक दृष्टिकोण अपनाते हुए “लेटर्स फ्रॉम ए फादर टू हिज डॉटर” “गिलम्पस ऑफ वर्ल्ड हिस्ट्री” “ए ऑटोबायोग्राफी, डिस्कवरी ऑफ इंडिया” जैसी विश्वप्रसिद्ध पुस्तकें लिख डाली।

 

 

उन्होंने कहा कि नेहरू जी की लोकतंत्र में इतनी गहरी आस्था थी शायद ही कोई आज भी इनका सानी हो। नेहरू जी बेहद उदारवादी थे, वो आज की तरह किसी भी कीमत पर सत्ता पाने के पक्षधर नहीं थे।

 

 

उन्हें इस बात की बड़ी फिक्र रहती थी कि लोहिया जीतकर संसद में जरूर पहुंचे। जबकि लोहिया नेहरू पर हमला करने का कोई मौका नहीं चूकते थे। संदीप सांख्यान ने कहा नेहरू ने भारत को विज्ञान, तकनीक और तर्कशीलता का हथियार दिया।

 

सुपर कंप्यूटर, आईआईटी,आईआईएम,एम्स, इसरो, सरकारी कंपनियां, बांध और बिजलीघरों का खाका खींचकर पूरी दुनिया को आश्चर्य चकित किया। आज दुनिया के सबसे अच्छे इंजीनियर, डॉक्टर और मैनेजर नेहरू के इन्हीं संस्थानों से निकलकर पूरी दुनिया में प्रतिभा का लोहा मनवा रहे हैं।