हिम अकादमी स्कूल में मानसिक स्वास्थ्य और किशोर कल्याण पर जागरूकता सत्र आयोजित

हमीरपुर/विवेकानंद वशिष्ठ :- डॉ. राधाकृष्णन राजकीय आयुर्विज्ञान महाविद्यालय, हमीरपुर में पदस्थ मनोचिकित्सक डॉ. रंजीत द्वारा कक्षा 8वीं और 9वीं के छात्रों के लिए मानसिक स्वास्थ्य और किशोरों के कल्याण पर एक व्यापक और विचारोत्तेजक सत्र आयोजित किया गया।

 

 

जिसमें उन्होंने विभिन्न महत्वपूर्ण पहुलओं पर चर्चा की। किशोरावस्थाः एक संवेदनशील लेकिन महत्वपूर्ण चरण सत्र की शुरुआत में डॉ. रजीत ने किशोरावस्था के महत्व को रेखांकित करते हुए इसे तेजी से होने वाले भावनात्मक, शारीरिक और मानसिक विकास का एक अहम दौर बताया।

 

उन्होंने इस बात पर बल दिया कि इस चरण को सकारात्मक दिशा देने के लिए उचित मार्गदर्शन और सहयोग अत्यंत आवश्यक है। दूसरा चर्चा का है अत्यधिक स्क्रीन समय और डिजिटल लत पर चेतावनी सत्र का एक बड़ा हिस्सा छात्रों को अत्यधिक स्क्रीन समय, विशेष रूप से इंटरनेट गेमिंग और वेब सीरीज़ के बढ़ते प्रभाव से होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक करने पर केंद्रित था।

 

 

 

डॉ. रंजीत ने समझाया कि कैसे डिजिटल सामग्री का अत्यधिक सेवन मानसिक स्वास्थ्य, ध्यान केंद्रित करने की क्षमता और नींद की गुणवत्ता पर नकारात्मक असर डाल सकता है।इस चर्चा से छात्रों को सकारात्मक संदेश मिला। सत्र के अंत में छात्रों को सलाह दी गई कि वे स्क्रीन टाइम को सीमित करें, स्वस्थ दिनचर्या अपनाएं, और मानसिक रूप से मजबूत बने रहने के लिए अपने भावनाओं को समझें व सांझा करें।

 

 

 

छात्रों ने सत्र को अत्यंत उपयोगी और ज्ञानवर्धक बताया। छात्रों को माता-पिता के मार्गदर्शन और देखरेख में अपने स्क्रीन समय को कम करने के लिए प्रोत्साहित किया गया। चर्चा में नशे की लत जैसे गंभीर मुद्दे को भी शामिल किया गया।

 

 

डॉ. रंजीत ने इसके मूल कारणों, शरीर और मन पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों तथा समय रहते हस्तक्षेप और पारिवारिक सहयोग के महत्व को समझाया। चिंता (एंग्जायटी) के विषय पर भी विस्तार से चर्चा की गई।

 

 

उन्होंने बताया कि चिंता की शुरुआत कैसे होती है, इसके सामान्य कारण कौन-कौन से हैं, और इसे प्रबंधित करने के प्रभावी तरीके कौन से हैं, जैसे कि विश्राम तकनीक, भावनात्मक सहयोग प्राप्त करना और जागरूकता बढ़ाना। उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी सामाजिक भ्रांतियों को तोड़ने पर भी ज़ोर दिया और छात्रों को बिना झिझक मदद लेने के लिए प्रोत्साहित किया।

 

 

सत्र के अंत में डॉ. रंजीत ने छात्रों से आग्रह किया कि वे निरंतर आत्म-देखभाल की आदतों को अपनाएं। उन्होंने रोज़ाना खेलकूद में भाग लेने और अपने दैनिक जीवन में सरल विश्राम अभ्यास शामिल करने की सलाह दी ताकि वे भावनात्मक रूप से स्वस्थ रह सकें।

 

अपनी दिनचर्या में सरल विश्रांति अभ्यासों को शामिल करना भावनात्मक कल्याण को बढ़ावा देने और तनाव को कम करने में सहायक होता है।

 

 

 

अंत में, यह सत्र मानसिक स्वास्थ्य के प्रति छात्रों को शिक्षित और सशक्त बनाने की एक सार्थक पहल साबित हुआ, जिसने उन्हें एक स्वस्थ और संतुलित जीवन जीने के लिए व्यावहारिक उपकरण और जागरूकता प्रदान की।