


हमीरपुर/विवेकानंद वशिष्ठ :- हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा अनुसूचित जाति एवं जनजाति के उत्थान के लिए स्थापित हिमाचल प्रदेश अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति विकास निगम जिसका मुख्यालय सोलन में है और जो दलित वर्ग के उत्थान लिए विभिन्न सरकारी योजनाएं संचालित करता है को सुक्खू सरकार ने बंद करने की पहल प्रारंभ कर दी है।
हिमाचल प्रदेश अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति विकास निगम को बंद करने की सुक्खु सरकार बना रही योजना
इस निगम द्वारा संचालित सहायक प्रबंधक कार्यालय भरमौर, देहरा, जुब्बल तथा सरकाघाट को बंद किया जा रहा है। साथ ही प्रदेश के 12 जिलों में स्थापित जिला प्रबंधक के कार्यालय में से 6 पद जिला प्रबंधकों के समाप्त किया जा रहे हैं।
हर साल 5 लाख लोगों को रोजगार देने का लालच देकर बनी सुक्खु सरकार एससी एसटी के कई पदों को करेगी खत्म
अब एक जिला प्रबंधक दो जिलों के कार्यालयों का संचालन करेगा। यानी कुल मिलाकर इस निगम के 50 पद एक साथ खत्म किये जा रहे हैं। इतना ही नहीं कांग्रेस सरकार दलित वर्ग के उत्थान की विभिन्न योजनाएं जो इस निगम के माध्यम से संचालित होती हैं को भी बंद करने की योजना बना रही है।
प्रदेश के 6 जिलों में जिला प्रबंधक कार्यालय बन्द होने से एससी एसटी वर्ग के 10 लाख से अधिक लोग होंगे प्रभावित
जैसे शिक्षा ऋण योजना, हस्तशिल्प योजना विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रम और वजीफा जैसे कार्यक्रमों को एक साथ बंद करके वंचित वर्ग के उत्थान के सारे रास्ते एक साथ बंद करने की योजना प्रदेश की कांग्रेस सरकार बना रही है।
एक तरफ तो राहुल गांधी संविधान बचाओ का नारा देते हैं वहीं दूसरी तरफ हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस पार्टी की सुक्खू सरकार धन का अभाव होने का हवाला देखकर एससी एसटी निगम को धीरे-धीरे बंद करने का बंदोबस्त कर रही है।
होना तो यह चाहिए था कि कांग्रेस सरकार एससी-एसटी सब प्लान के लिए एक्ट बनाती ताकि एससी एसटी सब प्लान का पैसा दूसरी जगह डाइवर्ट न किया जाता और वंचित वर्ग के उत्थान पर ही खर्च होता। लेकिन सरकार ने ऐसा न करके 14 मई 2025 को निगम के विभिन्न कार्यालयों और योजनाओं को बंद करने से संबंधित सरकारी सदस्यों की एक बैठक कर ली।
आश्चर्य की बात तो यह है कि इस निगम के जो गैर सरकारी सदस्य बोर्ड का गठन होता है। जिसके माध्यम से एससी एसटी के उत्थान के लिए विभिन्न योजनाओं का क्रियान्वयन किया जाता है का सरकार ने आज तक गठन ही नहीं किया। बल्कि सरकारी सदस्यों जिसमें चीफ सेक्रेटरी फाइनेंस सेक्रेट्री और सेक्रेटरी वेलफेयर के साथ-साथ अध्यक्ष वेलफेयर मिनिस्टर ने मिलकर विकास निगम को बंद करने का काम किया है।
इसमें सीधी सीधी मुख्यमंत्री की भी मिली भगती लगती है।
एक तरफ तो कांग्रेस पार्टी दलित वर्ग की सबसे बड़ी हिमायती बनती है वहीं दूसरी ओर दलित वर्ग से संबंधित विकास निगम को बंद करने का प्लान बनाकर एससी एसटी के साथ बहुत बड़ा धोखा करने की योजना बना रही है।
आम आदमी पार्टी कड़े शब्दों में इस कृत्य की निंदा करती है और प्रदेश सरकार को चेतावनी देती है कि अगर एससी एसटी विकास निगम के दफ्तरों और योजनाओं को अगर बंद किया जाता है तो आप इसका प्रदेश व्यापी विरोध करेगी। कांग्रेस पार्टी शायद यह भूल चुकी है कि हिमाचल प्रदेश में एससी एसटी की जनसंख्या लगभग 22 लाख है जो अनुपात में देश में दूसरे स्थान पर है।
आम आदमी पार्टी ने बताया कि प्रदेश के 6 जिलों में जिला प्रबंधक कार्यालय बन्द होने से एससी एसटी वर्ग के 10 लाख से अधिक लोग प्रभावित होंगे जो बेहद चिंताजनक है।
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