मजदूरों किसानों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल का भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी ने दिया समर्थन

शिमला/विवेकानंद वशिष्ठ :-  केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच व संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर 9 जुलाई की मजदूरों किसानों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल का भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी ने समर्थन दिया है। यह निर्णय पार्टी शिमला जिला कमेटी में लिया गया। इस हड़ताल में मजदूरों की देश की प्रमुख दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनें, कर्मचारियों की दर्जनों राष्ट्रीय फेडरेशनें व किसानों के अनेकों संगठन भाग ले रहे हैं।

शिमला में पार्टी कार्यालय में सम्पन्न हुई बैठक में पार्टी राज्य सचिव संजय चौहान, राकेश सिंघा, विजेंद्र मेहरा, जगत राम, फ़ालमा चौहान, देवकीनंद, कुलदीप डोगरा, राम सिंह, अजय दुलटा, प्रेम सिंह चौहान, जयशिव ठाकुर, संदीप वर्मा, विजय राजटा, राजीव चौहान, करतार चंद, रणजीत, रमन थारटा, सुनील मेहता, रमाकांत मिश्रा, हिमी देवी, विवेक कश्यप, अनिल ठाकुर, दिनित देंटा, सन्नी सिकटा, कमल शर्मा, मिलाप नेगी, रामप्रकाश, सुनील वशिष्ठ, मेहर सिंह पाल आदि शामिल हुए।

बैठक की जानकारी देते हुए पार्टी जिला सचिव विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि मोदी सरकार द्वारा मजदूर विरोधी चार लेबर कोड के जरिए मजदूरों पर गुलामी थोपने व बंधुआ मजदूरी कायम करने के खिलाफ, 26 हजार न्यूनतम वेतन, योजना कर्मियों, आउटसोर्स, ठेका प्रथा, मल्टी टास्क, टेंपररी, कैजुअल, ट्रेनी की जगह नियमित रोजगार देने, मनरेगा बजट में बढ़ोतरी, मनरेगा मजदूरों हेतु न्यूनतम वेतन लागू करने, श्रमिक कल्याण बोर्ड के आर्थिक लाभ सुनिश्चित करने, फसलों के समर्थन मूल्य, हिमाचली सेब पर मंडराते टैरिफ खतरे, बरसात की आपदा राहत, बढ़ते कृषि संकट, जमीन की बेदखली, तालाबंदी, बाड़बंदी, पनबिजली परियोजनाओं व फोरलेन निर्माण से प्रभावित किसानों, दूध के प्रश्न आदि मांगों पर हिमाचल प्रदेश के हजारों मजदूर किसान 9 जुलाई की राष्ट्रव्यापी हड़ताल के दौरान सड़कों पर उतरेंगे। पार्टी इस आंदोलन को समर्थन देगी।

उन्होंने कहा कि देश की मोदी सरकार कॉर्पोरेट सांप्रदायिक गठजोड़ के लिए कार्य कर रही है। अमीरों को छूट व गरीबों की लूट की जा रही है। देश में मजदूरों के कामकाज की।परिस्थितियां बदतर हुई हैं। किसानों की आत्महत्या में बढ़ोतरी हुई है। इस सबके बावजूद मोदी सरकार पूरी तरह अमीरों, उद्योगपतियों, कॉर्पोरेट कंपनियों के साथ खड़ी हो गई है व आम जनता की सुविधाएं छीन रही है। उन्होंने कहा कि मजदूर वर्ग पर चार लेबर कोड लागू होने से सत्तर प्रतिशत उद्योग व चौहतर प्रतिशत मजदूर श्रम कानूनों के दायरे से बाहर हो जाएंगे। हड़ताल करने पर मजदूरों को कड़ी सजाओं व जुर्मानों का प्रावधान किया गया है। पक्के किस्म के रोजगार के बजाए ठेका प्रथा व फिक्स टर्म रोजगार को बढ़ावा दिया जाएगा। काम के घंटे आठ के बजाए बारह घंटे करने से बंधुआ मजदूरी स्थापित होगी। उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी, मिड डे मील व आशा कर्मियों को सरकारी कर्मचारी घोषित करने तथा ग्रेच्युटी लागू करने, मजदूरों का न्यूनतम वेतन 26 हज़ार रुपये घोषित करने, मजदूर विरोधी चार लेबर कोडों, नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन, बीमा क्षेत्र में सौ फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, मजदूरों के काम के घंटे आठ से बढ़ाकर बारह करने, फिक्स टर्म रोज़गार को रद्द करने, असंगठित मजदूरों के लिए सार्वभौमिक व्यापक सामाजिक सुरक्षा देने, ठेका मजदूरों की रोज़गार सुरक्षा सुनिश्चित करने, उन्हें नियमित कर्मियों के बराबर वेतन देने, केंद्रीय व प्रदेश सरकार के बोर्ड व निगम कर्मियों की ओपीएस बहाल करने, न्यूनतम पेंशन 9 हज़ार लागू करने, मनरेगा व निर्माण मजदूरों के श्रमिक कल्या बोर्ड से आर्थिक लाभ व पंजीकरण सुविधा बहाल करने, एसटीपी मजदूरों के लिए शेडयूल एम्प्लॉयमेंट घोषित करने, आउटसोर्स व अस्पताल कर्मियों के लिए नीति बनाने, औद्योगिक मजदूरों को 40 प्रतिशत अधिक वेतन देने, तयबजारी को उजाड़ने के खिलाफ, किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य देने, स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिशों कल लागू करने, शहरी क्षेत्रों में विस्तार के साथ ही मनरेगा में 600 रुपये प्रति दिन की मजदूरी पर 200 दिन कार्य दिवस प्रदान करने, मनरेगा, निर्माण तथा बीआरओ मजदूरों का श्रमिक कल्याण बोर्ड में पंजीकरण व आर्थिक लाभ बहाल करने, आउटसोर्स, सैहब व 108 एवं 102 एंबुलेंस कर्मियों के लिए नीति बनाने, भारी महंगाई पर रोक लगाने, सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण को रोकने, किसानों की कर्ज़ा मुक्ति आदि मांगों को लेकर एक सफल हड़ताल का आयोजन होगा।