


शिमला/विवेकानंद वशिष्ठ :- हिमाचल किसान सभा, सीआईटीयू व अन्य संगठनों के संयुक्त आह्वान पर फोरलेन प्रभावितों का अधिवेशन कालीबाड़ी शिमला में आयोजित किया गया जिसमें हाल ही में भट्टाकुफर, शिमला में ध्वस्त हुए मकान व आसपास के अन्य छः मकानों को हुए नुकसान का मुआवज़ा देने की मांग को प्रमुखता से उठाया गया।

प्रभावितों को मुआवज़ें और पुनसर््थान की उठी मांग


इसके साथ ही जिन मकानों को असुरक्षित घोषित करके उनमें रहने वालों से मकान खाली करवाए गए हैं उनके पुनसर््थापन के लिए भी तुरन्त इंतज़ाम करने की मांग की गई। इसके साथ ही नुकसान का जायज़ा लेने के लिए विशेषज्ञ कमेटी का गठन किया जाए जिसमें प्रदेश के साथ-साथ केन्द्र के इंजीनियर भी शामिल हों। संभव हो तो कमेटी न्यायपालिका की देखरेख में नुकसान का मुल्यांकन करे।



16 को राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के कार्यालय पर होगा प्रदर्शन
अधिवेशन को सम्बोधित करते हुए किसान सभा के राज्याध्यक्ष डॉ. कुलदीप सिंह तँवर ने कहा कि फोरलेन से न केवल शिमला का क्षेत्र ही प्रभावित हुआ है बल्कि प्रदेश में जहां भी फोरलेन का निर्माण किया जा रहा है वहां हर जगह आसपास के लोग प्रभावित हुए हैं। डॉ. तँवर ने कहा कि फोरलेन निर्माण सहित जितने भी विकासात्मक कार्य प्रदेश में हो रहे हैं


जिनमें जलविद्युत परियोजनाएं, रेलवे लाइन, ट्रांसमिशन लाइनें, एयरपोर्ट शामिल हैं उनमें पर्यावरण की अनदेखी की जा रही है। उन्होंने कहा कि हिमाचल में लघु और सीमान्त किसान ज्यादा है जिनके पास जीवनयापन के लिए ज़मीनें कम हैं।
विकास के नाम पर उनकी ज़मीनों का अधिग्रहण हो रहा है लेकिन उन्हें उचित मुआवज़ा नहीं दिया जा रहा। किसान सभा की मांग है कि उन्हें फैक्टर 1 के बजाय फैक्टर 2 के तहत चार गुणा मुआवज़ा दिया जाए जिसमें माननीय उच्च न्यायालय ने भी फैसला दिया है।
उन्होंने कहा कि फोरलेन निर्माण के लिए 45 मीटर भूमि अधिग्रहित की जाती है जिसका मुआवज़ा किसानों को मिलता है लेकिन पहाड़ी की तरफ 60-90 प्रतिशत कटिंग के कारण बाकी की ज़मीन अस्थिर हो रही है और उसमें भूस्खलन हो रहा है।
निर्माण के दौरान निकले मलबे की अवैध डंपिग के कारण लोगों की चरागाहें, खेत और पानी के स्रोत खराब हो रहे हैं लेकिन इन मुद्दों पर न तो राज्य सरकार, न ही राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण कोई बात करता है। जिला में बनी मुल्यांकन समिति जिसे हर महीने कार्य की समीक्षा करनी थी वह भी नहीं की जा रही।

किसान अधिग्रहित की गई ज़मीन से कहीं अधिक फोरलेन निर्माण की कीमत चुका रहे हैं। इस पर भी ध्यान देने की ज़रूरत है और मुआवज़े के नियमों में इन समस्याओं को भी शामिल किया जाना चाहिए।
संजय चौहान ने अधिवेशन को सम्बोधित करते हुए कहा कि फोरलेन प्रभावितों को संगठित होकर संघर्ष करने का आह्वान किया उन्होंने कहा कि बिना संगठित हुए अपनी मांगों को हासिल करना संभव नहीं है।
उन्होंने आ्वान किया कि 16 जुलाई को राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के चक्कर, शिमला स्थित कार्यालय पर प्रदर्शन किया जाएगा। उन्होंने सभी से अपील की कि इसे प्रदर्शन में अधिक से अधिक संख्या में शामिल हों। संजय चौहान ने कहा कि आने वाले दिनों में कैथलीघाट से ढली के बीच में प्रभावित पंचायतों में बैठकें की जाएंगी और संघर्ष तेज किया जाएगा।
कसुम्पटी किसान सभा के सचिव जयशिव ठाकुर ने भी अधिवेशन को सम्बोधित किया
अधिवेशन में कैथलीघाट से ढली तक प्रभावित 9 पंचायतों के 200 से अधिक प्रभावित लोगों ने भाग लिया। इनमें हाल ही में प्रभावित परिवारों से रंजना वर्मा, रीना रप्टा, एल.आर. कौडल, बृजलाल सहित सुशील शर्मा, योगेश वर्मा, संजय शर्मा, योगेश शर्मा, चेतन, कमलेश शांडिल, ऋषि राठौर, शामिल रहे।
विभिन्न संगठनों से विजेन्द्र मेहरा, जगत राम, विवेक कश्यप, रमाकांत मिश्रा, फालमा चौहान, सोनिया सबरवाल, जगमोहन ठाकुर, राजेन्द्र चौहान, प्रताप ठाकुर, अनिल व सनी भी उपस्थित रहे।


