


शिमला/विवेकानंद वशिष्ठ :- ओडिशा के बालासोर स्थित फकीर मोहन ऑटोनॉमस कॉलेज की छात्रा एवं अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की सक्रिय कार्यकर्ता सौम्याश्री बिशी की आत्मदाह से हुई दर्दनाक मृत्यु ने समूचे शिक्षा जगत को झकझोर कर रख दिया है।

ओडिशा में छात्रा सौम्याश्री बिशी की आत्मदाह से हुई मृत्यु – दिविज ठाकुर


कॉलेज के शिक्षा विभागाध्यक्ष समीर साहू द्वारा मानसिक व यौन उत्पीड़न के कारण प्रताड़ित सौम्याश्री ने जब साहस दिखाते हुए कॉलेज प्राचार्य को लिखित शिकायत दी, तो संस्थान ने दोषी शिक्षक के विरुद्ध कोई कठोर कदम नहीं उठाया, बल्कि आंतरिक शिकायत समिति (ICC) की आड़ में पीड़िता को ही दोषी ठहराने का प्रयास किया गया। एन॰ एस॰ यू॰ आई॰ से जुड़े कुछ छात्रों ने भी उनके विरुद्ध झूठे आरोप लगाए और चरित्र हनन किया।



शिक्षा परिसरों में बढ़ती यौन हिंसा पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का रोष – अभाविप
जब प्राचार्य ने 12 जुलाई को सौम्याश्री को यह कहकर निराश किया कि “रिपोर्ट शिक्षक के पक्ष में है, समझौता कर लो,” तो उन्होंने कॉलेज परिसर में आत्मदाह कर लिया, और 14 जुलाई की रात AIIMS भुवनेश्वर में उनकी मृत्यु हो गई।

यह घटना न केवल व्यक्तिगत उत्पीड़न की कहानी है, बल्कि यह हमारे शिक्षण संस्थानों में फैली संस्थागत संवेदनहीनता, यौन हिंसा पर मौन, और दोषियों के संरक्षण का एक भयावह उदाहरण भी है। यह दर्शाता है कि जब छात्राएं न्याय की अपेक्षा में संस्थान का द्वार खटखटाती हैं, तो उन्हें ही कटघरे में खड़ा कर दिया जाता है। अभाविप ने इस अमानवीय घटना के विरोध में देशव्यापी श्रद्धांजलि सभाओं, मोमबत्ती मार्च, हस्ताक्षर अभियानों और धरना-प्रदर्शनों की घोषणा की है, जिसके माध्यम से देशभर के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता सौम्याश्री को न्याय दिलाने की लड़ाई लड़ रहे हैं।
अभाविप शिमला के जिला संयोजक दिविज ठाकुर ने कहा, “सौम्याश्री की मृत्यु सिर्फ एक छात्रा की त्रासदी नहीं, बल्कि संस्थानों की नैतिक विफलता और मौन मिलीभगत का परिणाम है। एक ओर वह शिक्षक जिन्होंने उत्पीड़न किया, और दूसरी ओर एन एस यू आई जैसे छात्र संगठनों के लोग जिन्होंने पीड़िता को ही अपमानित किया—दोनों ही समान रूप से अपराधी हैं। यह घटना चेतावनी है कि अगर संस्थान यौन उत्पीड़न के मामलों में चुप रहेंगे, तो विद्यार्थी परिषद कभी मौन नहीं रहेगी। हम न्याय सुनिश्चित करने के लिए सभी कानूनी और जन-संगठनात्मक प्रयासों को अपनायेंगे।


