





हमीरपुर/विवेकानंद वशिष्ठ :- भाजपा जिला अध्यक्ष राकेश ठाकुर, महामंत्री अजय रिंटू शर्मा और पूर्व जिलाध्यक्ष देसराज शर्मा ने जारी एक संयुक्त बयान ने आज कांग्रेस द्वारा भाजपा पर लगाए गए चुनाव आयोग के गलत इस्तेमाल के आरोपों का कड़ा विरोध किया और उन्हें “बेबुनियाद और राजनीति से प्रेरित” बताया।
भाजपा नेताओं ने कहा कि कांग्रेस वालों को पहले अपने संदेहपूर्ण इतिहास पर आत्मचिंतन करने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि कांग्रेस राज में संविधान के अनुच्छेद 356 का 90 बार दुरुपयोग करके विधिवत निर्वाचित सरकारों को बर्खास्त करके राज्यों और क्षेत्रीय दलों के अधिकारों का हनन किया गया।


उन्होंने जोर देते हुए कहा कि अकेले इंदिरा गांधी ने ही लोकतान्त्रिक सिद्धांतों को कमज़ोर करते हुए सरकारों को बर्खास्त करने के लिए अनुच्छेद 356 का 50 बार इस्तेमाल किया था।



उन्होंने यह भी याद दिलाया कि कैसे डॉ. बी.आर. अंबेडकर की चुनावी हार में जवाहरलाल नेहरू की भूमिका ऐतिहासिक बहस का विषय बनी हुई है, और जोर देकर कहा कि नेहरू और कांग्रेस पार्टी की राजनीतिक चालबाज़ियों के चलते ही डॉ. आंबेडकर जी को हार का सामना करना पड़ा था।
उन्होंने डॉ. अंबेडकर की हार से जुड़ी परिस्थितियों की आलोचना करते हुए कहा कि सुधारवादी आवाज़ों, खासकर दलित अधिकारों और सामाजिक समानता की वकालत करने वालों को दरकिनार करने की कांग्रेस की यह एक व्यापक रणनीति का हिस्सा था।

तीनों नेताओं ने मांग की कि कांग्रेस पार्टी को सोनिया गांधी की सह-अध्यक्षता वाली एफडीएल-एपी फाउंडेशन, जिसमे भारत-विरोधी जॉर्ज सोरोस फाउंडेशन द्वारा की गैर-क़ानूनी फंडिंग की गई थी, उस पर अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए; और साथ-ही-साथ बोफोर्स सौदे के आरोपी ओतावियो क्वात्रोची को बचाने में गांधी परिवार की भूमिका के बारे में लंबे समय से लग रहे आरोपों का भी जवाब देना चाहिए।
भाजपा नेताओं ने कांग्रेस के हालिया बयानों को ” हारे और नकारे राजनेताओं द्वारा शीर्ष कांग्रेस परिवार, जिसका हर सदस्य इस समय जमानत पर बाहर है, को खुश करने के लिए किए गए अनिश्चित और हताशा भरे प्रयास” बताया।
उन्होंने कहा कि भाजपा पर निराधार आरोप लगाने के बजाय, कांग्रेस को अपने भ्रष्टाचार, लीपापोती और सत्ता के दुरुपयोग के इतिहास के बारे में गंभीर सवालों के जवाब देने चाहिए। ऐसा संदिग्ध इतिहास रखने वाली कांग्रेस पार्टी को स्वतंत्र संवैधानिक संस्थाओं और भाजपा की छवि खराब करने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।





















































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