मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ निर्णायक आंदोलन का ऐलान

 शिमला/विवेकानंद वशिष्ठ :-   सैहब सोसाइटी वर्करज़ यूनियन सम्बन्धित सीटू बैनर तले सैहब सोसाइटी गार्बेज कलेक्टरों, सुपरवाइजरों, रोड़ स्वीपिंग स्टाफ व अन्य सैंकड़ों कर्मियों ने अपनी मांगों को लेकर कालीबाड़ी हॉल शिमला में एक आम सभा आयोजित करके 25 अगस्त से अनिश्चितकालीन आन्दोलन शुरू करने का निर्णय लिया है।

 

मजदूरों ने नगर निगम प्रशासन की मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ निर्णायक आंदोलन का ऐलान किया है। यूनियन ने निर्णय लिया है कि जब तक मजदूरों की मांगों का हल नहीं होगा तब तक आंदोलन जारी रहेगा।

 

आम सभा में सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा, जिला सचिव रमाकांत मिश्रा, सीटू नेता विवेक कश्यप, अध्यक्ष जसवंत सिंह, महासचिव ओमप्रकाश, सह कोषाध्यक्ष नरेश कश्यप, सलाहकार पाला राम, उपाध्यक्ष अमित भाटिया, नरेश ठाकुर , सचिव शिव राम, दलविंद्र सुनील, योगेश, भरत, पवन, नरेंद्र, रूपा, पूनम, शारदा, देवी सिंह, सूरत राम, नरेंद्र, राकेश, राहुल, बूटा राम, विक्रम, दिगम्बर, मनोज, अजित, चंदू लाल, दिनेश, धर्म चंद,नीरज, ललित, मदन, इंद्र, प्रेम, राजीव, खूब राम, अरविंद सहित सैकड़ों सैहब कर्मी शामिल रहे।

आम सभा को संबोधित करते हुए सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा, रमाकांत मिश्रा, विवेक कश्यप, यूनियन अध्यक्ष जसवंत सिंह व महासचिव ओमप्रकाश गर्ग ने कहा कि अगर सैहब सोसाइटी, आउटसोर्स व सफाई कर्मियों की मांगों का हल तुरन्त न हुआ तो सभी सैहब कर्मी अपने नियमितीकरण, क्यू आर कोड रद्द करने, आउटसोर्स प्रथा बंद करने, नियमित कर्मियों के बराबर वेतन देने सहित अन्य मांगों के लिए आंदोलन करेंगे।

 

 

उन्होंने कहा कि नगर निगम प्रशासन सैहब सोसाइटी के बाय लॉज़ के खिलाफ कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि जो ढाई करोड़ रुपये नगर निगम घरों की मैपिंग हेतु क्यू आर कोड स्कैनिंग के लिए खर्च करना चाहता है उतने पैसे में 150 अतिरिक्त मजदूरों की भर्त्ती हो सकती है जिस से शहर को और ज़्यादा स्वच्छ रखने में मदद मिलेगी व कार्यरत मजदूरों पर काम का बोझ घटेगा।

 

इतने पैसे से सभी सैहब व आउटसोर्स कर्मियों को तीन वर्ष तक 15 हज़ार रुपये बोनस दिया जा सकता है। नगर निगम प्रशासन सरकारी पैसे का दुरुपयोग करना चाहता है जिसे सहन नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सैहब मजदूरों व सुपरवाइजरों का भारी आर्थिक व मानसिक शोषण हो रहा है।

उन्होंने मांग की है कि सैहब वर्करज़ को नियमित कर्मचारी घोषित किया जाए। उन्हें 15वें भारतीय श्रम सम्मेलन, सुप्रीम कोर्ट के सन 1992 के आदेश, सातवें वेतन आयोग की जस्टिस माथुर की सिफारिशों व 26 अक्तूबर 2016 के माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार 26 हज़ार वेतन दिया जाए। उन्हें अतिरिक्त कार्य का अतिरिक्त वेतन दिया जाए। उन्हें कानूनी रूप से 39 छुट्टियां दी जाएं। सैहब में आउटसोर्स में कार्यरत कर्मियों को सैहब के अंतर्गत लाया जाए व उन्हें समय पर वेतन दिया जाए।

 

सैहब कर्मियों को 4- 9 – 14 का लाभ दिया जाए। सभी सैहब सुपरवाइजरों व मजदूरों को सरकार द्वारा घोषित वेतन दिया जाए। सुपरवाइजरों व मजदूरों के लिए पदोन्नति नीति बनाई जाए। उनकी ईपीएफ की बकाया राशि उनके खाते में जमा की जाए। उनसे अतिरिक्त कार्य करवाना बन्द किया जाए। उन्होंने मांग की है कि सैहब एजीएम बैठक में सैहब कर्मियों की मांगों को पूर्ण किया जाए।