जिसे पूरी दिल्‍ली आईटीओ के नाम से जानती है, उस चौराहे का असली नाम क्‍या है? 99 फीसदी को नहीं होगा पता, जानें!

Know real name of ITO. दिल्‍ली के हर इलाके की पहचान किसी न किसी वजह से है, आईटीओ की पहचान जाम की वजह से है. यहां से गुजरने वालों लोगों को पता होता है कि सुबह और शाम इस चौराहे को पार करने में 30 मिनट से अधिक का समय बर्बाद होता है. क्‍या कभी सोचा है कि जिसे पूरी दिल्‍ली आईटीओ के नाम से जानती है, उसका असली नाम क्‍या है. शायद 99 फीसदी लोगों को पता नहीं होगा. आइए बताते हैं इसका असली नाम क्‍या है?

इस चौक के व्‍यस्‍तता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि रोजाना यहां से छह से सात लाख वाहन गुजरते हैं. सुबह और शाम में 20 से 22 फीसदी ट्रैफिक होता है. इस वजह से यहां जाम लगता है. आईटीओ केवल पूवी दिल्‍ली ही नहीं, बल्कि नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद आने-जाने वाले लोगों के लिए भी सेंट्रल और नई दिल्ली का पहला एक्सेस प्‍वाइंट है. इसी वजह से यहां एनसीआर के ट्रैफिक का भी दबाव रहता है. यहीं से लोग आगे सेंट्रल, साउथ या नई दिल्ली की तरफ जाते हैं.

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यहां इनकम टैक्‍ स आफिस है, इसी वजह से इसका नाम आईटीओ है. इसके पास बने चौराहे को भी आईटीओ चौराहे के नाम से जाना जाता था. लेकिन करीब 15 वर्ष पहले जब दिल्‍ली में कांग्रेस की सरकार थी, इस चौराहे का नाम स्‍वतंत्रता सेनानी लाला रामचरण अग्रवाल चौक के नाम पर रखा गया था. तब से इसका नाम कागजों में लाला रामचरण अग्रवाल चौक है.

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दिल्‍ली पुलिस जब भी एडवाइजरी जारी करती है, तो इस चौराहे का नाम लाल रामचरण अग्रवाल चौक लिखती है. इस चौराहे का नाम बदले करीब 15 वर्ष हो चुके हैं, इसके बावजूद लोग इसे आईटीओ के नाम से ही जानते हैं. लाला रामचरण अग्रवाल कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता और पूर्व सांसद जेपी अग्रवाल के पिता हैं.

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