देश में एक्सप्रेस-वे की जाल बिछाने के साथ एक इलाके को दूसरे से जोड़ने के लिए भारत सरकार एक इस्लामिक मुल्क के बीचोंबीच से भी एक्सप्रेस-वे बनवा रही है. इस रोड के बनने से देश के दो इलाकों की दूरी मौजूदा करीब 600 किमी से घटकर मात्र 120 किमी रह जाएगी. दरअसल, यह पूरी कहानी देश के बंटवारे से जुड़ी है. आजादी के साथ देश के बंटवारे के कारण कई इलाके भारत की मुख्य भूमि से सुदूर हो गए थे. इसका सबसे अधिक खामियाजा पूर्वोत्तर भारत में देखने के मिला था. देश के सुदूर पूर्वोत्तर में बसे सातों राज्यों का पूरब के मुख्य शहर कोलकाता और राजधानी दिल्ली से दूरी काफी बढ़ गई.
बंटवारे के बाद भी स्थिति बेहतर नहीं हुई. वजूद में आने के वक्त से ही पाकिस्तान हमें परेशान करता रहा. वह लगातार भारत को अस्थिर करने में लगा रहा. लेकिन, अब भारत, पाकिस्तान से काफी आगे निकल चुका है. आज का वक्त ऐसा है कि एक तरफ पाकिस्तान लगातार एक विफल राष्ट्र बन रहा है तो दूसरी तरफ भारत दुनिया के पटल पर पूरी ताकत से उभर रहा है. अब भारत, पाकिस्तान के जले पर नमक छिड़कने की तैयारी में है. दरअसल, 1947 के बंटवारे के बाद 1971 में पाकिस्तान खुद दो टुकड़ों में टूट गया. उसका पूर्वी हिस्सा एक अलग मुल्क बांग्लादेश बन गया. बांग्लादेश को वजूद में लाने में भारत की अहम भूमिका थी. अब उसी बांग्लादेश के भीतर से भारत हाईवे बनाकर अपने दो हिस्सों को जोड़ने की तैयारी में है.
भारत के गोद में है ये मुल्क
दरअसल, भारत के मानचित्र को गौर से देखें तो पता चलेगा कि देश के पूर्वोत्तर के राज्यों के बीच में बांग्लादेश घुसा हुआ है. बांग्लादेश तीन तरफ से भारत से घिरा हुआ है. इस तरह बांग्लादेश के एक अलग मुल्क होने की वजह से उसके दोनों तरफ के भारतीय इलाकों के बीच कनेक्टिविटी बुरी तरह प्रभावित हुई. इलाके में 1947 से पहले की स्थिति नहीं रही. लेकिन, अब समय बदल रहा है. भारत और बांग्लादेश के रिश्ते काफी अच्छे हैं. दोनों सरकारें भारत के दो मुख्य शहरों को सड़क और रेल मार्ग से जोड़ने के लिए एक कॉरिडोर बनाने पर काम कर रही हैं.
120 किमी रह जाएगी दूरी
यह कॉरिडोर पश्चिम बंगाल के बालुरघाट को मेघालय के तुरा से वाया बांग्लादेश के रास्ते जोड़ेगी. अभी बालुरघाट से तुरा जाने के लिए 588 किमी की दूरी तय करनी पड़ती है. लेकिन, अगर बांग्लादेश के बीच से सड़क और रेल यातायात चालू हो जाए तो यह दूरी मात्र 120 किमी में सिमट जाएगी. ऐसा नहीं है कि यह कोई नया मार्ग है बल्कि 1965 के भारत-पाकिस्तान के जंग तक यह मार्ग चालू था. लेकिन, 1971 के जंग के बाद इसे बंद कर दिया गया. अब दोनों देशों के लोगों की मांग पर इस मार्ग को खोलने का काम किया जा रहा है.
इस कॉरिडोर के शीघ्र कार्यान्वयन के लिए बांग्लादेश में भारत के सहायक उच्चायुक्त मनोज कुमार को समझौता ज्ञापन सौंपा गया. इस कॉरिडोर के खुलने से दोनों देशों के पर्यटन और व्यापार के अवसर पैदा होंगे. इस कॉरिडोर से न सिर्फ भारत बल्कि बांग्लादेश के उत्तरी जिलों को भी फायदा होगा. बालुरघाट से हिली अंतर-मेघालय यातायात पहले चालू था. लेकिन 1971 में मुक्ति संग्राम के बाद वो रास्ता बंद हो गया.
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FIRST PUBLISHED : March 1, 2024, 12:27 IST