डायनों से युद्ध हार गए, देवता

धर्मशाला/विवेकानंद वशिष्ठ  :-   हिमाचल प्रदेश  के जिला मंडी में घोगडाधार विश्व विख्यात स्थान में देवता इस बार डायनों से युद्ध हार गए हैं। डायनों से युद्ध के दौरान इंदुनाग देवता व उनके भाइयों में तोरल नाग, मतड़ानाग को तीन-तीन व बुडू नाग को दो घाव लगे हैं, जबकि आधा दर्जन के करीब बरछे यानी भाले की मार भी लगी है।

 

डायनों से जितना कोई आसान काम नहीं

 

इंद्रुनाग के गूर ने खेल पात्र के दौरान बताया कि आगामी पांच दिनों तक मक्खन-चंदन लेप से इंद्रुनाग देवता का उपचार किया जाएगा।

 

भगवान इंदुनाग ने गूर के माध्यम से दिया रक्षा का आशीर्वाद

 

 

 

इंद्रुनाग ने अपने गूर के माध्यम से क्षेत्र में बारिश होने से नुकसान न होने की बात कही है और रक्षा करने का भी आशीर्वाद दिया है।

 

डायनों के साथ युद्ध करके लौटे बारिश के देवता इंदुनाग के खनियारा पहुंचने पर विशेष पूजा-पाठ व खेलपात्र का भी आयोजन किया गया। खनियारा में ही अघंजर महादेव मंदिर के समीप स्थित बहन कोटसनी के घर में पहुंचकर प्राथमिक उपचार करवाकर इंद्रुनाग

 

 

देवता छड़ी यात्रा व सैकड़ों लोगों के जयकारे के साथ अपने स्थान खनियारा स्थित अपने मंदिर में पहुंच गए।

 

 

पांच दिन होगा चंदन व मक्खन का लेपः विपिन

 

इंदुनाग मंदिर खनियारा के पुजारी विपिन ने बताया कि युद्ध के बाद इंद्रुनाग देवता को पूजा-पाठ व छड़ी यात्रा के माध्यम से मंदिर में लाया गया है। अब गूर के बताए अनुसार, आगामी पांच दिनों तक चंदन व मक्खन का लेप किया जाएगा। इसके बाद बड़े न्हौण को नाग देवता मणिमहेश में स्नान करने को रवाना होंगे।

 

 

राधाष्टमी पर स्नान के लिए मणिमहेश जाएंगे इंद्रुनाग देवता

 

अब इंदुनाग देवता राधाष्टमी के पवित्र पर्व पर शिव शंकर के कैलाश में मणिमहेश में स्नान करने जाएंगे। इसके साथ ही धौलाधार पर्वत श्रृंखला में स्थित नागडल में भी स्नान करके लौटेंगे, इसके बाद थातरी के रास्ते सम्बलाहड़ स्थित उखाड़ा मंदिर से चार सितंबर को भव्य खेल पात्र व पूजा पाठ के साथ खनियारा स्थित मंदिर में लाया जाएगा।

 

इसके बाद गूर ने तीन वर्ष में होने वाली इंदुनाग देवता की विशेष पूजा-पाठ करने की तैयारी करने के भी संकेत दे दिए हैं, जो कि वीरवार को होने वाले खेल पात्र में ही स्पष्ट रूप से बताया जाएगा।