भारत को समझने के लिए ‘लोक संस्कृति’ को समझना जरूरी : जे नंद कुमार

हमीरपुर/विवेकानंद वशिष्ठ :-    भारत के इतिहास को भारतीय दृष्टिकोण से पढ़ने, लिखने और समझने की आवश्यकता है, जिसके लिए लोक संस्कृति का अध्ययन आवश्यक है। भारत को पश्चिमी प्रभाव से निकलने और औपनिवेशिक मानसिकता की समाप्ति के लिए ‘स्व’ के जागरण की आवश्यकता है जिसके लिए भारतीय चिंतन धारा को सही दिशा में लाने के लिए विद्वानों के सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है।

एनआईटी हमीरपुर में प्रज्ञा प्रवाह की एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित।

 

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 इसका और एक बेहतरीन प्रयास है, जिसमें भारत केन्द्रित शिक्षा को बढ़ावा दिया गया है। शोध में प्रयोग होने वाली शोध प्रणाली के भारतीयकरण को बल देना आवश्यक है।

 

यह बात एनआईटी हमीरपुर में आयोजित प्रज्ञा प्रवाह उन्नत भारत अभियान के अंतर्गत आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में शिक्षाविद् और विचारक जे.नन्द कुमार ने कही। रविवार को एनआईटी हमीरपुर में प्रज्ञा प्रवाह उन्नत भारत अभियान की कार्यशाला की अध्यक्षता एनआईटी के निदेशक प्रो. एचएम सूर्यवंशी ने की, जबकि कुलसचिव अर्चना ननौटी विशेष रूप से उपस्थित रहीं।

 

उन्नत भारत अभियान के समन्वयक डॉ चन्द्र प्रकाश ने कार्यशाला के विषय विकसित भारत के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी के महत्व के बारे में जानकारी दी। कार्यशाला में हिमांशु कुमार को प्रांत संयोजक, एचपीयू के एसोसिएट प्रो. राजेश शर्मा सह संयोजक का दायित्व सौंपा गया।

 

प्रांत कार्यकारिणी के सदस्य डॉ. युद्धवीर पटियाल, डॉ. अशोक तिवारी, डॉ. राकेश शर्मा, डॉ. मोहिनी अरोड़ा, डॉ. नीलम ठाकुर, डॉ.जसपाल खत्री, डॉ. कुलदीप शर्मा एवं आईआईटी मंडी के डॉ. सूर्यप्रकाश को तय किया गया। कार्यशाला में तीन सत्र रहे जिसमें प्रदेश के विभिन्न शिक्षण संस्थानों से जुड़े लगभग 40 से अधिक शिक्षाविदों ने सहभागिता की।