





हमीरपुर/विवेकानंद वशिष्ठ :- हिमाचल प्रदेश जायका कृषि परियोजना के परियोजना निदेशक डॉ. सुनील चौहान ने खेतों में उपयुक्त उन्नत कृषि तकनीक लागू करके, उच्च मूल्य वाली उपज और उत्पादों को विशिष्ट बाज़ारों तक पहुँचाकर किसानों को सशक्त बनाने की आवश्यकता पर बल दिया।

उन्होंने टिकाऊ कृषि उत्पादन की उपयुक्त प्रणालियाँ बनाने के लिए राज्य कार्यशालाओं की सिफारिशों को लागू करने का आह्वान किया।



डॉ. सुनील चौहान परियोजना द्वारा आयोजित दोनों कार्यशालाओं के समापन समारोह में जापान से ऑनलाइन जुड़ कर बोल रहे थे। ये दोनों कार्यशालायें शुक्रवार व शनिवार को मशोबरा स्थित SAMETI में आयोजित की गई वे उपस्थित किसानों, विशेषज्ञों और परियोजना के अधिकारियों को सम्बोधित कर रहे थे।



सब से पहले परियोजना निदेशक ने दोनों कार्यशालाओं की कार्यवाही के बारे में उप परियोजना निदेशक डॉ. राजेश कुमार से जानकारी ली उन्हें बताया गया की सभी सिफारिशों को परियोजना के एक मुख्य समूह द्वारा अंतिम रूप दिया जाएगा।
अपने समापन संबोधन में डॉ. सुनील चौहान ने कहा कि परियोजना -I और परियोजना -II के लगभग 50 हजार लाभार्थी किसान परिवार हैं, जिनमें से कम से कम 30,000 हजार किसानों परिवारों को बाजारीकरण से जोड़ना चाहिए।

डॉ. सुनील चौहान ने कहा कि विकास के केन्द्र बिंदु में गाँव हैं राज्य के मुख्यमंत्री, कृषि मंत्री, कृषि सचिव डॉ सी पॉलरासु, कृषि निदेशक परियोजना में नवाचार तकनीकी अपनाने के लिए हमारा मार्गदर्शन कर रहे हैं। प्रदेश और केन्द्र सरकारें सुरक्षित खाद्य के साथ ही खाद्य सुरक्षा को बढ़ाने के लिए हमारा समर्थन दे रही हैं।
परियोजना निदेशक ने कहा कि हमें किसानों के साथ अच्छे संबंध बनाते हुए जमीनी स्तर पर जिला परियोजना प्रबंधक ईकाइयां, खंड स्तर पर खंड परियोजना प्रबंधक ईकाइयां के 2-4 गांवों के क्लस्टर बनाने के लिए, किसान समूह के क्लस्टर में सुधार के साथ उनका एक क्लस्टर बनाना और दूसरा शेप अप्प्रोच के माध्यम से किसान और बाजारों से लिंक करें- 4-5 गांवों के फिर एक क्लस्टर बनाकर प्रमुख फसलों पर किसान उत्पादक कंपनी को खड़ा करें।
उन्होंने प्रत्येक खंड परियोजना प्रबंधक ईकाइ के स्तर पर एक या एक से अधिक कृषि-व्यवसाय ईकाइ या संगठन बनाने का आवाहन किया।
उन्होंने उपस्थित सभी अधिकारियों और कर्मचारियों से कहा कि सभी स्तरों पर चर्चाओं में भाग लें, किसानों के सदृढीकरण करने के लिए अपना ध्यान केंद्रित रखें और अधिक से अधिक सीखने के लिए खुले विचारों वाले बनें। किसानों की क्या ज़रूरत है उसको समझने का प्रयास करें। परियोजना, सरकार और विभाग आपसे क्या चाहते हैं उस पर अपना ध्यान केंद्रित करें।

समापन समारोह में वरिष्ठ सलाहकार श्री बी.एस. संधू और उप परियोजना निदेशक डॉ. राजेश कुमार ने रिसोर्स व्यक्तियों और प्रतिनिधियों को क्रमशः प्रशंसा प्रमाण पत्र और भागीदारी प्रमाण पत्र प्रदान करके सम्मानित किया।
इन कार्यशालाओं में 18 से अधिक रिसोर्स व्यक्तियों ने उच्च कृषि प्रौद्योगिकी, फसलों के मृदा रहित प्रसार, उच्च गुणवत्ता वाले पॉली हाउस, मृदा सुधार संशोधन, कृषि में कुशल वैकल्पिक ऊर्जा का उपयोग और विशिष्ट एवं मूल्यवर्धित कृषि उपज और उत्पादों के लिए व्यक्तिगत किसानों और किसान समूहों से लेकर घरेलू और विदेशी बाजारों तक एक शक्तिशाली कृषि व्यवसाय नेटवर्क के निर्माण में लगी कंपनियों की ओर से अपनी प्रस्तुतियां दीं।




















































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