



हमीरपुर/विवेकानंद वशिष्ठ :- कथावाचक पंडित सुनील शर्मा ने कहा कि वैसे तो भगवान शिव का अभिषेक हमेशा करना चाहिए,लेकिन शिवरात्रि (08 मार्च, शुक्रवार) का दिन कुछ खास है। यह दिन भगवान शिवजी का विशेष रूप से प्रिय माना जाता है। कई ग्रंथों में भी इस बात का वर्णन मिलता है।
भगवान शिव का अभिषेक करने पर उनकी कृपा हमेशा बनी रहती है मनोकामना पूरी होती है। धर्मसिन्धू के दूसरे परिच्छेद के अनुसार,अगर किसी खास फल की इच्छा हो तो भगवान के विशेष शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए। यहां जानिए किस धातु के बने शिवलिंग की पूजा करने से कौन-सा फल मिलता है।


सोने के शिवलिंग पर अभिषेक करने से सत्यलोक (स्वर्ग) की प्राप्ति होती है ।



मोती के शिवलिंग पर अभिषेक करने से रोगों का नाश होता है।
हीरे से निर्मित शिवलिंग पर अभिषेक करने से दीर्घायु की प्राप्ति होती है ।

पुखराज के शिवलिंग पर अभिषेक करने से धन-लक्ष्मी की प्राप्ति होती है ।
स्फटिक के शिवलिंग पर अभिषेक करने से मनुष्य की सारी कामनाएं पूरी हो जाती हैं ।
नीलम के शिवलिंग पर अभिषेक करने से सम्मान की प्राप्ति होती है ।
चांदी से बने शिवलिंग पर अभिषेक करने से पितरों की मुक्ति होती है ।

ताम्बे के शिवलिंग पर अभिषेक करने से लम्बी आयु की प्राप्ति होती है ।
लोहे के शिवलिंग पर अभिषेक करने से शत्रुओं का नाश होता है ।
आटे से बने शिवलिंग पर अभिषेक करने से रोगों से मुक्ति मिलती है ।
मक्खन से बने शिवलिंग पर अभिषेक करने पर सभी सुख प्राप्त होते हैं ।
गुड़ के शिवलिंग पर अभिषेक करने से अन्न की प्राप्ति होती है ।
वैदिक पंचांग के आनुसार
शिवरात्रि के दिन करने योग्य विशेष बातें
१. शिवरात्रि के दिन की शुरुआत ये श्लोक बोल के शुरू करें :-
देव देव महादेव नीलकंठ नमोस्तुते l
कर्तुम इच्छा म्याहम प्रोक्तं, शिवरात्रि व्रतं तव ll
2. काल सर्प के लिए महाशिवरात्रि के दिन घर के मुख्य दरवाजे पर पिसी हल्दी से स्वस्तिक बना देना….शिवलिंग पर दूध और बिल्व पत्र चढ़ाकर जप करना और रात को ईशान कोण में मुख करके जप करना l
3. शिवरात्रि के दिन ईशान कोण में मुख करके जप करने की महिमा विशेष है, क्योंकि ईशान के स्वामी शिव जी हैं l रात को जप करें, ईशान को दिया जलाकर पूर्व के तरफ रखें , लेकिन हमारा मुख ईशान में हो तो विशेष लाभ होगा l जप करते समय झोका आये तो खड़े होकर जप करना l
4. महाशिवरात्रि को कोई मंदिर में जाकर शिवजी पर दूध चढाते हैं तो ये ५ मंत्र बोलें :-
ॐ हरये नमः
ॐ महेश्वराए नमः
ॐ शूलपानायाय नमः
ॐ पिनाकपनाये नमः
ॐ पशुपतये नमः















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