





हमीरपुर/विवेकानंद वशिष्ठ :- हमीरपुर हिमाचल प्रदेश का सबसे छोटा जिला है। यह जिला हिमालय की शिवालिक रेंज में स्थित है। हमीरपुर की भौगोलिक स्थिति 76′ 18 से 76′ 44 पूर्वी देशांतर और 31′ 25 से 52′ 31 उतर देशांवर है।

हमीरपुर जिला कांगड़ा का भू भाग है। यह 1972 में कांगड़ा जिले से अलग हो गया था। पहली सितंबर 1972 को हमीरपुर जिला अस्तित्व में आया खूबसूरत जिला हमीरपुर के उत्तरी क्षेत्र में ब्यास और दक्षिष्ट में सतलुज नदी बहती है।



18वीं शताब्दी के प्रथम चरण में कांगड़ा क्षेत्र में कटोचते के उदय होने के समय जिला हमीरपुर ने अपने ऐतिहासि क्षेत्र में प्रवेश किया है। इसका अस्तित्व राजा हमीर चंद के शासनकाल से संबंध रखता है।




हमीर चंद ने 18वीं शताब्दी में हीरानगर के समीप सामरिक दृष्टि से एक दुर्ग का निर्माण करवाया था। उसी के नाम पर व्युत्पन्न इस जिला का नाम हमीरपुर पड़ा है।

राजा हमीर चंद 1740-80. हमीरपुर का सुजानपुर, नादौन और महल मोरियां के साथ इतिहास के पन्नों में कई स्वर्णिम अध्याय लिखे जा चुके हैं।


नौवी और शताब्दी में कांगड़ा राज्य में नादौन का राजकीय महत्व स्थापित हो गया था। त्रिगर्त की राजधानी दसवीं नगस्फोट (कांगड़ा) में भी इस राज्य का प्रमुख राजकोष केंद्र नादौन रह चुका है।

1690 ई में गुरु गोबिंद सिंह के सेना ने नादौन की बुद्धभूमि पर मुगल सेना को बुरी तरह पराजित कर खादेड़ा था। नादौन के जिस स्थान पर गुरु गोबिंद सिंह सेना के साथ लड़े थे, वहां वर्तमान में भव्य गुरुद्वारा बना है।

बर्तमान में हमीरपुर की आबादी घनत्व में सबसे अधिक है। प्रदेशभर में सबसे अधिक साक्षर जिला होने का गौरव भी जिला हमीरपुर को प्राप्त है। हमीरपुर में बहने बाली सबसे बड़ी नदी ग्यास है। जबकि कुणाह खड्ड, शुक्करखड्ड, बाकर खड्डू, मानसखड्डू आदि इसकी सहायक नदियां हैं।

बाबा बालक नाथ मंदिर, नर्वदेश्वर मंदिर, बिष्ल्लकलेश्वर मंदिर, मुरली मनोहर मंदिर, अबाल्देवी मंदिर, टौणीदेबी मंदिर, कलंझड़ी देवी मंदिर, गसोता महादेव, शनिदेव मंदिर, शनिपारी देवी मंदिर, विश्वकर्मा मंदिर और नादौन में गुरुद्वारा साहिब आदि कई प्रसिद्ध धार्मिक स्थल हैं। जिला हमीरपुर यहां होने वाले मेलों के लिए भी काफी प्रसिद्ध है।


राष्ट्रस्तर का होली उत्सव जिला के सुजानपुर में होता है। इसके अलावा हमीर उत्सब, गसोता महादेब मेला, मास्कंध मेला, दियोटसिद्ध में चैत्र मास के मेले, सैर मेला, अवाहदेवी, – टौणीदेवी और कलंझड़ी देवी मेला काफी प्रसिद्ध हैं।




















































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