





हमीरपुर/विवेकानंद वशिष्ठ :- प्रभु श्री कृष्ण भक्ति और हमारी अनूठी सनातन संस्कृति के प्रचार प्रसार के उद्देश्य से डाॅ. ब्रह्म दास शर्मा के निवास स्थान गांव बलेटा खुर्द, हमीरपुर में श्रीमद् भागवत कथा की संगीतमय पावन धारा का आयोजन 30 अक्टूबर से 05 नवंबर तक कथा व्यास पंडित अनिल शर्मा गौतम जी के मुखारविंद से किया जा रहा है।

प्रथम दिन कथा का शुभारम्भ एवं कलश यात्रा का आयोजन किया गया। प्रतिदिन श्री भागवत कथा का निरंतर पाठ, संगीतमई प्रस्तुतियां, भण्डारा व भजन संध्या नियोजित हो रही हैं। कथा में भारी संख्या में श्रद्धालु श्री कृष्ण भगवान की पवित्र कथा का रसपान कर रहे हैं।



श्रीमद् भागवत कथा के मुख्य प्रसंगों में राजा परीक्षित की कथा, ध्रुव और प्रह्लाद जैसे भक्तों की कथा, समुद्र मंथन की कथा, और भगवान कृष्ण की लीलाएँ प्रस्तूत की गईं। अन्य महत्वपूर्ण प्रसंगों में ऋषि श्रृंगी द्वारा राजा परीक्षित को श्राप, गजेन्द्र का उद्धार, और वृत्रासुर के वध की कथा का वाचन किया गया।




श्रीमद् भागवत कथा का आरंभ शुकदेव गोस्वामी द्वारा राजा परीक्षित को सुनाई गई कथा से होता है, जो मृत्यु से पहले आत्मज्ञान प्राप्त करना चाहते थे।

परीक्षित को ऋषि श्रृंगी द्वारा दिए गए श्राप की कथा के अनुसार उन्हें सातवें दिन तक्षक नाग ने काटा था।

भक्त प्रह्लाद की कथा धर्म, त्याग और भक्ति की शिक्षा
देती है। नवम स्कंध में राजर्षि ध्रुव और पृथु जैसे राजाओं के चरित्र का वर्णन है।

अष्टम स्कंध में ग्राह द्वारा पकड़े गए गजेन्द्र को भगवान विष्णु द्वारा बचाने की कथा है। इसी स्कंध में समुद्र मंथन और मोहिनी रूप में भगवान द्वारा अमृत बांटने की कथा है।
धुंधुकारी प्रसंग बताता है कि भागवत कथा कैसे मुक्ति प्रदान करती है और इसीलिए इसे ‘मुक्ति ग्रंथ’ भी कहते हैं।

वृत्रासुर वध का प्रसंग भागवत को कल्पवृक्ष के पके फल के रूप में वर्णित करता है
और जीवन जीने की एक अद्भुत शैली बताता है। श्री हरी कृपा से पूर्णाहुति व विशाल भंडारे का आयोजन 5 नवंबर को होगा।




















































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