एस एफ आई कोटशेरा ईकाई का सम्मेलन सफलता पूर्वक संपन्न हुआ

शिमला/विवेकानंद वशिष्ठ :-   सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए ज़िला सचिव पवन कुमार ने कहा इन 370 दिनों में ऐसी अंतरराष्ट्रीय घटनाएँ सामने आई हैं, जिन्होंने पूँजीवाद के संकट और साम्राज्यवाद की आक्रामकता को पूरी तरह उजागर कर दिया है।

इसका सबसे साफ़ उदाहरण फ़िलिस्तीन है, जहाँ अक्तूबर 2023 से अब तक 65,419 से ज़्यादा फ़िलिस्तीनी शहीद हुए हैं, 1,67,160 से अधिक घायल हुए हैं, और ग़ज़ा में भूखमरी की हालत ने दस लाख से ज़्यादा लोगों को मौत के खतरे में डाल दिया है, यह सब इस्राइली नाकेबंदी का नतीजा है।

इसके बावजूद, बढ़ते वैश्विक एकजुटता आंदोलनों ने 193 में से 157 मुल्कों को फ़िलिस्तीन को आधिकारिक मान्यता देने पर मजबूर किया, जिससे साम्राज्यवादी विरोध के बावजूद फ़िलिस्तीनी संघर्ष की वैधता और मज़बूत हुई है।

 

साथ ही राष्ट्रीय स्थिति पर बात रखते हुए कहा की पिछले एक वर्ष ने भारतीय समाज और राजनीति को गहरे संकट में डाल दिया। लोकतंत्र, शिक्षा, रोजगार और सामाजिक न्याय जैसे बुनियादी सवालों पर यह साल बेहद चुनौतीपूर्ण रहा। शिक्षा के क्षेत्र में निजीकरण और कॉर्पोरेट दखल तेज़ी से बढ़ा।

विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में फीस में औसतन 15 से 20 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जिससे गरीब और मध्यमवर्गीय छात्रों के लिए उच्च शिक्षा तक पहुँचना लगभग असंभव हो गया। UDISE+ रिपोर्ट 2024-25 के अनुसार आज भी 40 प्रतिशत छात्र उच्च शिक्षा से वंचित रह जाते हैं।

सरकारी विश्वविद्यालयों में करीब 1.2 लाख सीटें खाली पड़ी रहीं और नई शिक्षा नीति ने शिक्षा को समान अधिकार से हटाकर पूरी तरह बाज़ार की ओर मोड़ दिया। रोज़गार के मोर्चे पर स्थिति और भी भयावह रही। CMIE की रिपोर्ट बताती है कि 2025 की शुरुआत में देश की बेरोज़गारी दर 8.3 प्रतिशत रही, जो पिछले 45 वर्षों में सबसे ऊँचे स्तरों में से एक है। ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोज़गारी 7.2 प्रतिशत और शहरी इलाकों में 9.1 प्रतिशत रही। हर साल लगभग 80 लाख युवा रोजगार की तलाश में श्रम बाजार में आते हैं लेकिन सरकार मुश्किल से 2-3 लाख सरकारी नौकरियाँ निकालती है।

सम्मेलन के समक्ष नई शिक्षा नीति 2020 के विरोध में , छात्र संघ चुनाव बहाल करने को लेकर , महिला उत्पीड़न के खिलाफ व उच्च शिक्षा में छात्राओं की स्थिति आदि विषयों पर प्रस्ताव रखे गए , जिन्हें सम्मेलन ने सर्वसम्मति से पास कर दिया ।इकाई सचिव ने अपने संबोधन में भविष्य की योजनाओं और आगामी कार्यों के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि आने वाले समय में महाविद्यालय परिसर के अंदर एक व्यापक सदस्यता अभियान चलाया जाएगा। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य यह रहेगा कि कॉलेज की अधिक से अधिक छात्राओं को संगठन से जोड़ा जाए ताकि संगठन की जड़ें और मजबूत हो सकें।

उन्होंने यह भी कहा कि संगठन केवल सदस्यता तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि कॉलेज कैंपस में छात्र-हितों और छात्राओं की मांगों को लेकर एक सशक्त आवाज़ उठाई जाएगी। इसके लिए छात्राओं को एकजुट किया जाएगा तथा उन्हें अपने अधिकारों के प्रति जागरूक किया जाएगा।

उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि संगठन आने वाले समय में विभिन्न जागरूकता कार्यक्रम, सेमिनार, और चर्चा सत्रों का आयोजन करेगा, जिससे छात्राओं में नेतृत्व क्षमता का विकास हो सके और वे समाज में अपनी भूमिका को सशक्त रूप से निभा सकें।
एस एफ आई कोटशेरा ईकाई सम्मेलन ने 33 सदस्य नव कार्यकारणी का गठन किया और कार्यकारणी ने अंकित को सचिव और कुशल राणा को अध्यक्ष चुना।

अंत में इकाई सचिव ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि जो भरोसा इस सम्मेलन ने हम पर जताया है उसपर निसंदेह खरा उतरेंगे संगठन सदैव छात्र छात्राओं की आवाज़ बनेगा और महाविद्यालय में एस एफ आई कोटशेरा इकाई छात्रों मांगो को लेकर लगातार आंदोलन में रहेगी समानता, सहयोग और प्रगतिशीलता की भावना को आगे बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा।

अंत में इकाई अध्यक्ष कुशल राणा ने कहा कि हम कैंपस के अंदर छात्र मांगों को लेकर छात्र छात्राओं को लामबंद करेंगे और उन मुद्दों को लेकर आंदोलन करेंगे ।