



हमीरपुर/विवेकानंद वशिष्ठ :- प्रदेश सरकार द्वारा पंचायती राज चुनावों को लगातार टालने के प्रयासों से बड़सर ढटवाल क्षेत्र के लोगों में गहरी नाराज़गी है। सदन में इस मुद्दे पर हुए बवाल और लगातार उठ रहे सवालों के बाद भी सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही।
आम जनता सरकार के हर फैसले से निराश और नाखुश है। आज की स्थिति यह साबित करती है कि यह सरकार जनता की नहीं, बल्कि कुछ चुनिंदा मित्रों के हित में चलने वाली मित्रों की सरकार बनकर रह गई है।


जब प्रदेश में स्कूल, आंगनवाड़ी, कार्यालय और बाज़ार पूरी तरह खुले हैं, बच्चे रोज़ाना स्कूल पहुंच रहे हैं और लोग सामान्य गतिविधियों में संलग्न हैं, तो फिर यही जनता मतदान केंद्रों तक कैसे नहीं पहुंच सकती? यह प्रश्न सरकार की नीयत पर गंभीर संदेह खड़ा करता है।



स्पष्ट है कि सरकार आपदा का हवाला लेकर पंचायत चुनावों को टालने के लिए बहाना ढूंढ रही है, जबकि उसी अवधि में विभिन्न सरकारी कार्यक्रमों पर करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं।
पंचायत चुनाव न होने से पिछले तीन वर्षों से विकास कार्य ठप पड़े हैं और जनता अपने प्रतिनिधि चुनने के अधिकार से वंचित है। पंचायतें ही स्थानीय स्तर पर विकास, पारदर्शिता और जनहित के निर्णयों की आधारशिला होती हैं। चुनावों को टालना सीधे-सीधे जनता के अधिकारों का हनन है।

बड़सर ढटवाल भाजपा इकाई सरकार से मांग करती है कि—
पंचायती राज चुनाव तुरंत घोषित किए जाएं।
जनता के लोकतांत्रिक अधिकारों की बहाली सुनिश्चित की जाए।
आपदा का बहाना बनाकर लोकतंत्र को कमजोर करने की कोशिश बंद की जाए।

हम जनता की आवाज के साथ खड़े हैं और पंचायत चुनावों में देरी के विरुद्ध संघर्ष जारी रखेंगे।















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