कम्युनिस्ट पार्टी ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा महिलाओं के लिए घोषित 1500 रुपये सम्मान राशि को लोकसभा चुनाव के दौरान बदस्तूर जारी रखने की मांग।

 

शिमला/विवेकानंद वशिष्ठ :-   भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) हिमाचल प्रदेश राज्य कमेटी का एक प्रतिनिधिमंडल राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी मनीष गर्ग से मिला व प्रदेश सरकार द्वारा महिलाओं के लिए घोषित इंदिरा गांधी प्यारी बहना सुख सम्मान निधि योजना से मिलने वाली 1500 रुपये सम्मान राशि को लोकसभा चुनाव के दौरान बदस्तूर जारी रखने की मांग की।

 

प्रतिनिधिमण्डल में पार्टी राज्य सचिवमंडल सदस्य संजय चौहान, डॉ कुलदीप सिंह तंवर, राज्य कमेटी सदस्य विजेंद्र मेहरा, जगत राम, फालमा चौहान, जगमोहन ठाकुर, पार्टी नेता बालक राम, सोनिया सबरवाल, कपिल शर्मा, नवीन कुमार, अंकित दुबे व सुनील वशिष्ठ आदि शामिल रहे।

इस विषय पर पार्टी ने शिमला में एक प्रेस वार्ता का भी आयोजन किया। पार्टी नेता संजय चौहान, डॉ कुलदीप सिंह तंवर, विजेंद्र मेहरा, जगत राम व फालमा चौहान ने मांग की है कि राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में महिलाओं को पन्द्रह सौ रुपये देने की योजना को चुनाव के दौरान बदस्तूर जारी रखा जाए क्योंकि यह निधि योजना पिछले कुछ महीने पहले ही लाहौल स्पीति जिला में लागू हो चुकी थी व इस योजना के तहत महिलाओं को सम्मान राशि चुनाव की घोषणा के पहले से ही मिल रही है।

 

पूरे प्रदेश में भी इस योजना को लागू करने की अधिसूचना लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले जारी हो चुकी है व प्रदेश में हज़ारों महिलाएं इस योजना के फार्म भर चुकी हैं। यह किसी भी तरह चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन नहीं है क्योंकि इस योजना की अधिसूचना चुनाव की घोषणा के बाद नहीं हुई है।

 

उन्होंने चुनाव के दौरान इस योजना के कार्यान्वयन पर रोक लगाने की भाजपा की मांग को हास्यास्पद, तुच्छ व महिला विरोधी करार दिया है। भाजपा की इस मांग से उसकी महिला विरोधी सोच को बेनकाब करती है। भाजपा महिलाओं के आर्थिक स्वाबलंबन को स्वीकार नहीं कर पा रही है।

 

इस से उसके नारी उत्थान व महिला सशक्तिकरण जैसे नारों की आड़ में राजनीति करने की पोल खुल गयी है। एक तरफ देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी झूठे बनावटी लोक लुभावने नारे देकर कह रहे हैं कि माँ बेटी शक्ति स्वरूप हैं व उनके लिए मैं अपनी जान की बाजी लगा दूंगा और दूसरी ओर हिमाचल प्रदेश की भाजपा महिलाओं को मिलने वाली पन्द्रह सौ रुपये की आर्थिक सहायता का विरोध कर रही है।

 

जब यह योजना लागू नहीं हुई थी तो भाजपा हर रोज़ बयानबाजी कर रही थी कि वर्तमान सरकार अपनी गारंटियों से मुकर रही है व महिलाओं को पन्द्रह सौ रुपये नहीं दे रही है परन्तु जब सरकार ने यह योजना लागू कर दी तो भाजपा इस योजना के विरोध में उतर आई व इसे लागू न होने देने के लिए तरह तरह के बहाने तलाशने लगी। लोकसभा चुनाव की आड़ में इस योजना के विरोध से भाजपा की असली सोच बेनकाब हो गयी है।

 

हिमाचल प्रदेश में महिलाएं मुख्य रूप से कृषि क्षेत्र में कार्यरत हैं व कृषि गहरे संकट से गुजर रही है। इसके अलावा मनरेगा में महिलाओं को कुछ रोज़गार हासिल है जोकि बेहद कम है। सेवा क्षेत्र में उनकी भागीदारी भी काफी कम है।

 

उद्योगों में महिलाओं का रोज़गार नगण्य है। राज्य में पचास प्रतिशत से अधिक महिलाएं एनीमिया की शिकार हैं व सामाजिक तौर पर कमज़ोर हैं। प्रदेश में महिलाओं की आर्थिक व सामाजिक स्थिति काफी कमजोर है। पंद्रह सौ रुपये की यह राशि उनकी रोज़मर्रा की जिंदगी में काफी अहमियत रखती है। इस से इनकार करना इन महिलाओं के साथ घोर अन्याय होगा।