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प्रधानमंत्री मोदी गुजरात छोड़कर वाराणसी से चुनाव लड़ सकते हैं तो आनंद शर्मा कांगड़ा से क्यों नहीं: मुख्यमंत्री

हमीरपुर/विवेकानंद वशिष्ठ :-    मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सूक्खू ने नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर को फिर आईना दिखाया है। उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि जयराम झूठ व डर के सहारे सत्ता पाना चाह रहे हैं, लेकिन यह संभव नहीं है। वह धैर्य रखें, 4 जून को जनता का जवाब भाजपा को मिल जाएगा।

झूठ व डर के सहारे सत्ता पाना चाह रहे जयराम

 

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात छोड़कर वाराणसी से चुनाव लड़ सकते हैं तो पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा कांगड़ा लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में क्यों नहीं उतर सकते। वह तो हिमाचल प्रदेश के शिमला के रहने वाले हैं और पूरा राज्य उनका घर है।

4 जून को भाजपा को मिल जाएगा जनता का जवाब, धैर्य रखें नेता प्रतिपक्ष

ठाकुर सुखविंदर सिंह ने कहा कि बड़ी खुशी की बात है, आनंद शर्मा को कांगड़ा से टिकट मिली है। वह अच्छे वक्ता हैं, उनकी राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर अच्छी पकड़ व समझ है। वह राष्ट्रीय स्तर पर जाने-पहचाने चेहरे हैं। संसद में उनकी आवाज गूंजने पर हिमाचल को लाभ होगा।

आनंद शर्मा ने पूर्व यूपीए सरकार में केंद्रीय मंत्री रहते कांगड़ा के लिए बड़े प्रोजेक्ट व कार्यालय लाए हैं। कांगड़ा में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी, इंदौरा में डेढ़ सौ करोड़ रुपये की लागत का इंडस्ट्रियल पार्क, चाय बागवानों के लिए नेशनल टी बोर्ड का रीजनल सेंटर आनंद शर्मा ने खुलवाया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आनंद पार्टी का बड़ा चेहरा हैं, वह संसद में कांग्रेस विचारधारा का प्रतिनिधित्व करेंगे। भाजपा के तीनों सासंद प्रदेश में आई इतिहास की सबसे बड़ी प्राकृतिक आपदा के दौरान केंद्र सरकार से विशेष राहत पैकेज दिलाने में विफल रहे। आनंद शर्मा केंद्र में बनने वाली कांग्रेस सरकार में अहम भूमिका निभाकर हिमाचल के लिए विशेष पैकेज लाएंगे। हिमाचल में कांग्रेस की लड़ाई बिकाऊ विधायकों और लोकतंत्र की हत्या करने वालों के खिलाफ है। कांग्रेस के छह पूर्व विधायकों को निश्चित तौर पर भाजपा ने खरीदा है। नेता प्रतिपक्ष जयराम झूठ का ढिंढोरा पीट रहे हैं, जनता में उनकी पोल खुल चुकी है। जयराम का गणित बेहद कमजोर है, कांग्रेस सरकार 5 साल का कार्यकाल पूरा कर जनता की अदालत में जाएगी। जनता की सेवा जिसने की होगी, उसे फिर सत्ता में आने का मौका मिलेगा। जयराम नहीं चाहते थे कि कर्मचारियों को ओल्ड पेंशन स्कीम, महिलाओं को 1500 रुपये, मनरेगा कर्मियों को 60 रुपये बढ़ी हुई दिहाड़ी, किसानों को दूध पर एमएसपी व कर्मचारियों को बढ़ा हुआ मानदेय मिले, इसलिए वह नोटों के दम पर सरकार गिराने की साजिश रचने में लगे रहते हैं।