हमीरपुर/विवेकानंद वशिष्ठ :- बड़सर उप-चुनाव में भाजपा प्रत्याशी इंद्रदत्त लखनपाल ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू पर फिर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि एक तानाशाह मुख्यमंत्री को उनके इशारों पर नाचने बाले गूंगे-बहरे सिपहसालार ही चाहिए होते हैं! क्षेत्र के मुद्दों, जनता के मुद्दों व लोगों का भला चाहने बालों को तानाशाह मुख्यमंत्री सुखू विधानसभा से बाहर निकाल देते है!
सुक्खू के अहंकार के कारण ही बड़सर को 14 महीने बाद झेलना पड़ रहा उप-चुनाव
प्रदेश की जनता मुख्यमंत्री के इस तानाशाह रवैय को जनता उप चुनावों के रूप मे झेल भी रही है! उन्होंने कहा कि समय रहते जनता के मुद्दों पर ध्यान देते हुए मुख्यमंत्री ने बड़सर व प्रदेश का विकास करवाया होता तो आज उन्हें बड़सर के गाँव गाँव मे खुद की पहचान बताने की जरूरत नहीं पड़ती!
लखनपाल बोले अपने सं वैधानिक वोट का अधिकार हर किसी को होता है अगर हमने प्रदेश हित मे उसका उपयोग किया तो क्या ग़लत किया! उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने हर मंच से हमें बुरा भला कहा लेकिन यह नहीं बताया कि जब हम विधानसभा पंहुचे तो हमें रोकने के लिए गुंडे किसने भेजे, हमें धमकियाँ किसने दी! उन्होंने कहा कि हम व्हीप का पालन करते हुए विधानसभा गए थे ।
लेकिन मुख्यमंत्री के गुंडड़ों ने हमें गेट पर ही रोक लिया और बिना किसी नोटिस के ही हमारी सदस्यता रद्द करवा दी! उन्होंने मुख्यमंत्री पर सवालों की झड़ी लगाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री बताएं कि 14 महीनों की सरकार में उन्होंने बड़सर के लिए कौन सा बड़ा प्रोजेक्ट दिया। कहां नया नींव पत्थर रखा, किस योजना के लिए धन का प्रावधान किया। सुक्खू अगर कागजी घोषणाओं को विकास मानते हैं, तो जनता भी इस बार उन्हें बता देगी कि विकास की परिभाषा क्या है।
सुक्खू को खुद पर इतना ही भरोसा है तो दर-दर क्यों भटक रहे
इंद्रदत्त लखनपाल ने कहा कि सुखविंदर सिंह सुक्खू बड़सर की जनता से एक बार फिर झूठ बोलकर वोट मांग रहे हैं। उन्हें अपनी विकास की नीतियों पर इतना ही भरोसा है तो वोट मांगने के लिए दर-दर क्यों भटक रहे हैं। सुक्खू सोचते हैं कि वह झूठ के सहारे पूर्व मुख्यमंत्रियों यशवंत सिंह परमार, वीरभद्र सिंह, प्रो. प्रेम कुमार धूमल व जयराम ठाकुर से आगे निकल जाएंगे।
लेकिन वह भूल चुके हैं कि ये सभी अपने व्यवहार और कार्यशैली के दम पर लोगों के दिलों में राज करते हैं। वे अपनी पार्टी के छोटे से छोटे कार्यकर्ता का भी सम्मान करते थे, लेकिन सुक्खू जनता की आवाज उठाने वाले अपनी ही पार्टी के विधायकों को ही जलील करते हैं। सुक्खू के इस तानाशाही रवैये ने कांग्रेस पार्टी के भीतर ही विद्रोह खड़ा कर रखा है। उनका यही तानाशाह रवैया अब उनकी राजनितिक नईया को डुबोने बाला है!