हमीरपुर/विवेकानंद वशिष्ठ :- हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के मीडिया कोऑर्डिनेटर संदीप सांख्यान ने प्रैस को जारी बयान में आरोप लगाया है कि पूरे देश को अपनी कुर्बानियों से रौशन करने वाले भाखड़ा विस्थापितों के मसले को भाजपा के शीर्ष नेता हल करवाना तो दूर की बात है, इस मसले को नेशनल लेवल पर उठा तक नहीं पाए हैं। बिलासपुर ही नहीं बल्कि ऊना के सैंकड़ो परिवार इस दंश से ग्रसित है।
केंद्रीय मंत्री विस्थापितों के हितों की रक्षा करने में रहे असफल
चार बार के सांसद व केंद्रीय मंत्री एक बार भी बिलासपुर के भाखड़ा विस्थापितों के हकों की पैरवी करने में नाकाम रहे हैं। हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में यह मसला ऐसा है जिसे केवल भाजपाईयों ने वोट बैंक की राजनीति के लिए ही प्रयोग किया है। साठ के दशक में उजड़े इस शहर की दास्तां सबसे अलग इसलिए भी है, कि यह शहर आजाद देश का पहला विस्थापित शहर है।
विस्थापितों के हितों की रक्षा के लिए भाजपा का शीर्ष नेतृत्व रहा नाकाम
एक बार बसाव के बाद इसे पूछा तक नहीं गया। विस्थापितों द्वारा किए गए अतिक्रमण को लेकर पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह की सरकार ने 150 वर्ग मीटर की नीति का निर्माण कुछ राहत पहुँचाई है। लेकिन भाजपा ने इस संवेदनशील मसले पर कभी गौर ही नहीं किया। इस बात को लेकर भाखड़ा विस्थापित की नाराजगी चार बार के सांसद अनुराग ठाकुर से जायज है।
संदीप सांख्यान ने कहा कि जब यह शहर को उजड़ना था, उस समय बिलासपुर शहर के साथ 258 गांव के करीब 11,770 परिवारों को अपने घर.बार छोड़ने पड़े थे। जो परिवार भाखड़ा डैम के आसपास बसे थे उनको हरियाणा के हिसार और फरीदाबाद में बसाव के लिए भेजा गया। वहीं, कुल 3,600 परिवार हरियाणा गए, लेकिन वहां भी इसी समस्या से उनको जूझना पड़ा।
साल 1971 में पूर्नस्थापन एवं पुर्नवास कानून में लोगों को जहां पर वे बसे, वहीं पर उन्हें जमीनी कागजात दिए गए। भारत के पहले प्रधानमंत्री स्वर्गीय जवाहरलाल नेहरू ने भाखड़ा बांध के उद्घाटन के विस्थापितों की कुर्बानी पर नाज करते हुए उनकी हर सुख सुविधा का ध्यान रखने की बात कही थी, लेकिन अब परिस्थितियां पूरी तरह से विपरीत हैं।
यह मसला बीबीएमबी, पंजाब राज्य और केंद्र सरकार के मध्य का है लेकिन चार बार के सांसद व केंद्रीय मंत्री और उनके पिता प्रो.प्रेम कुमार धूमल जी के समय मुख्यमंत्री रहते हुए भी कोई समाधान नही निकलवा पाए। संदीप सांख्यान ने कहा कि यह मुद्दा राजनीतिक न होकर बिलासपुर के स्वाभिमान और अस्तित्व से जुड़ा है। इस चुनाव में भाखड़ा विस्थापित भाजपा को इसका करारा जबाव देने के लिए आतुर है।