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अपरा-जलक्रीड़ा-भद्रकाली एकादशी का महत्व पंडित सुरेश गौतम

हिमाचल(हमीरपुर)/विवेकानंद वशिष्ठ :- कथावाचक पंडित सुरेश गौतम ने कहा कि अपरा-जलक्रीड़ा-भद्रकाली एकादशी का विशेष महत्व है

व्रत पर्व विवरण – अपरा-जलक्रीड़ा-भद्रकाली एकादशी (स्मार्त),पंचक [समाप्त:रात्रि 01:40 (03 जून 01:40 AM

विशेष – हर एकादशी को श्री विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख शांति बनी रहती है l

राम रामेति रामेति । रमे रामे मनोरमे ।। सहस्त्र नाम त तुल्यं । राम नाम वरानने ।।

आज एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से विष्णु सहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है l

एकादशी के दिन बाल नहीं कटवाने चाहिए।

एकादशी को चावल व साबूदाना खाना वर्जित है | एकादशी को शिम्बी (सेम) ना खाएं अन्यथा पुत्र का नाश होता है।

जो दोनों पक्षों की एकादशियों को आँवले के रस का प्रयोग कर स्नान करते हैं, उनके पाप नष्ट हो जाते हैं।

 

 

अपरा-जलक्रीड़ा-भद्रकाली एकादशी

02 जून 2024 रविवार को प्रातः 05:04 से रात्रि 02:41 (03 जून 02:41 AM) तक एकादशी है। 02 जून, रविवार को अपरा-जलक्रीड़ा-भद्रकाली एकदशी (स्मार्त) एव॔ 03 जून, सोमवार को अपरा-जलक्रीड़ा-भद्रकाली एकदशी एकदशी (भागवत)

विशेष – 03 मई, सोमवार को एकादशी का व्रत उपवास रखे।

निर्णयसिन्धु के प्रथम परिच्छेद में एकादशी के निर्णय में 18 भेद कहे गये हैंl

कालहेमाद्रि में मार्कण्डेयजी ने कहा है – जब बहुत वाक्य के विरोध से यदि संदेह हो जाय तो एकादशी का उपवास द्वादशी को ग्रहण करे और त्रयोदशी में पारणा करे ।

पद्म पुराण में आता है कि एकादशी व्रत के निर्णय में सब विवादों में द्वादशी को उपवास तथा त्रयोदशी में पारणा करे ।

विशेष ~ अतः इस बार भी शास्त्र अनुसार 03 जून को उपवास करें।

 

 

अपरा एकादशी

‘अपरा एकादशी’ को उपवास करके भगवान वामन की पूजा करने से मनुष्य सब पापों से मुक्त हो श्रीविष्णुलोक में प्रतिष्ठित होता है। इसका महात्म पढ़ने और सुनने से सहस्र गौदान का फल मिलता है ।