शिमला/विवेकानंद वशिष्ठ :- एसएफआई हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय इकाई के द्वारा छात्र मांगो को लेकर पिंक पेटेल पर धरना प्रदर्शन किया जिसकी भूमिका बांधते हुए सचिवालय सदस्य कॉमरेड रेहम ने बात रखी की आज विश्वविद्यालय को बने हुए 55 साल से ज्यादा समय हो गया है लेकिन आज छात्र अपनी मूलभूत सुविधाओं के लिए लड़ रहा है। विश्वविद्यालय ERP के माध्यम से छात्रों के भविष्य साथ लगातार खिलवाड़ कर रहा है जिस पर विश्वविद्यालय प्रशासन 16 करोड़ से ज्यादा खर्च कर चुका है।
इसके अलावा कैंपस सहसचिव कॉमरेड भानु ने आगे की बात रखते हुए कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन अपना काम न करते हुए लगातार शैक्षणिक भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहा है। अपने चहेतों को गैर संविधानिक तरीके से भरने का काम किया जा रहा है। छात्रावासों और लाइब्रेरी के गेट 8 बजे बंद कर दिए जाते हैं ।
जिसके चलते मजबूरी में छात्रों को प्राइवेट लाइब्रेरी में अध्ययन के लिए बैठना पड़ता है और छात्राओं को मजबूरन हॉस्टल के अंदर कैदी की तरह रहना पड़ता है। SFI ने मांग रखी कि छात्रावासों के गेट और लाइब्रेरी को 24 घंटे के लिए खुला रखा जाए ताकि छात्र प्राइवेट लाइब्रेरी जाने की बजाए विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी में अपनी पढ़ाई किसी भी समय कर सके।
इसके अलावा यह भी मांग थी कि लाइब्रेरी में सेंट्रल हीटिंग सिस्टम लगाया जाए ताकि सर्दियां आने से पहले लाइब्रेरी में प्रॉपर हीटिंग व्यवस्था हो जाए । जिसके लिए विश्वविद्यालय को काफी खर्च करना पड़ता है। तो SFI का मानना है कि विश्वविद्यालय लाइब्रेरी में सेंट्रल लाइब्रेरी हीटिंग की व्यवस्था की जाए जिसके चलते छात्र सर्दियों में लाइब्रेरी में पढ़ाई देर रात कर सके।
इसके अलावा कॉमरेड भानु ने अपनी बात रखते हुए कहा कि विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी में विश्वविद्यालय के सभी छात्रों को बैठने के लिए पर्याप्त जगह नहीं है, इसमें उनका मानना है कि HPU की सेंट्रल लाइब्रेरी में बैठने की कैपेसिटी को बढ़ाया जाए, और जिस स्थान पर विश्वविद्यालय में छात्रों और कर्मचारियों की जेबों पर डाका डालने के लिए कामधेनु जैसे कैफे को खोला गया था उसकी जगह स्टडी रूम खोला जाए ताकि जिन छात्रों को लाइब्रेरी में बैठने की जगह नहीं मिलती वो वहां बैठ सकें।
इसके साथ उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में किताबों के संस्करण काफी पुराने है तो इस विषय पर उनका मानना है कि विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी में किताबों के नए संस्करण मंगवाएं जाएं ताकि छात्रों को अपने अध्ययन में मुश्किलों का सामना न करना पड़े।
उनका मानना है की यह सब दिक्कतें प्रत्यक्ष छात्र संघ चुनाव न होने के चलते आ रही हैं। SFI का मानना है की जल्द से जल्द इन मांगों के ऊपर संज्ञान लिया जाए अन्यथा SFI एक उग्र आंदोलन इस विश्वविद्यालय और प्रदेश में करेगी जिसके जिम्मेवारी विश्वविद्यालय प्रशासन की होगी।