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4 जुलाई को राष्ट्रव्यापी छात्र हड़ताल SFI

शिमला/विवेकानंद वशिष्ठ :-  बीते कुछ सप्ताह में पुनः से नैशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) ने राष्ट्र स्तरीय परीक्षाओं के प्रबंधन में अपनी अयोग्यता और अक्षमता का प्रदर्शन किया है। परीक्षाओं के प्रबंधन में लगातार हो रही गड़बड़ी और विसंगतियों की अगली कड़ी में हाल में स्थगित हुआ नीट-पीजी भी जुड़ गया है ।

देश की चरमराती शिक्षा व्यवस्था के विरोध में स्टूडेंट्स फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडिया (एसएफ़आई) छात्रों से एक दिन की हड़ताल करने का आह्वान करता है

पहले 4 जून को घोषित हुए नीट-यूजी के परिणामों में पारदर्शिता की समस्याओं और पेपर लीक के खबरें आईं जिसके बाद लाखों छात्रों द्वारा दिए जाने वाली यूजीसी-नेट की परीक्षा को परीक्षा होने के दो दिन बाद विसंगतियों और पेपर लीक की खबरों के कारण रद्द कर दिया गया। इसके बाद एनटीए ने अगले ही हफ्ते होने वाली सीइसआईआर-नेट की परीक्षा को भी स्थगित कर दिया। लगातार स्थगित होती परीक्षाएं और पेपर लीक एनटीए का अपनी ही कार्य पद्धति और अस्तित्व से भरोसा उठ चुका है। एनटीए के अलावा भी अन्य परीक्षा कराने वाले संस्थान भी परीक्षाएं करवाने में असमर्थ साबित हो रहे हैं, जैसे बीते दिनों में स्वास्थ्य मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले आयुर्विज्ञान में राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड (NBE) ने पेपर लीक और अन्य अनियमितताओं का कारण बताते हुए नीट-पीजी की परीक्षा को आख़िरी समय पर स्थगित कर दिया।

लाखों की संख्या में छात्र लगातार पिछले कई वर्षों से सीयूईटी, नीट, जेईई जैसी केंद्रीकृत परीक्षाओं पर चिंता व्यक्त कर रहे हैं जिनके कारण शिक्षा के निजीकरण के साथ कोचिंग सेंटरों को फ़लने फूलने का बढ़ावा दिया जा रहा है जिससे देश की शिक्षा व्यवस्था हाशिए के समाज से आने वाले छात्रों की पहुंच से बाहर होती जा रही है और “एक राष्ट्र, एक परीक्षा” के पालन से पूरे देश की परीक्षा व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी और छात्रों का अकादमिक भविष्य दांव पर लगा हुआ है।

दैनिक अखबार “द टेलीग्राफ” में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी सिर्फ 25 स्थाई कर्मचारियों के स्टाफ के साथ 25 सरकारी परीक्षाएं करवाती है। इस रिपोर्ट में एक शिक्षा के कार्यक्षेत्र के विशेषज्ञ ने टिप्पणी करी है की केंद्र ने परीक्षाओं का खिलवाड़ बनाते हुए राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी को “उतना खाने को कह दिया है जितना वो पचा नहीं सकती”।

केंद्र सरकार एनटीए और उसकी विफलताओं का जिम्मेदार सिर्फ कुछ व्यक्तियों को ठहरा कर एजेंसी के खस्ता हालात को बार बार नजरअंदाज कर रही है और इसी कारणवर्ष हमें केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को जवाबदेह बनाना पड़ेगा। एनटीए और केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की विफलताओं का कारण है इन संस्थानों में लगातार हो रही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सदस्यों की भर्तियां, जो की अयोग्य और असक्षम हैं।

एनटीए की बार बार विफलताओं ने हजारों महत्वाकांक्षी छात्रों का कीमती समय, प्रयास और मेहनत की कमाई को बरबाद किया है और उनके मन में अपने भविष्य के लिए अनिश्चितताएं और अत्यधिक चिंता पैदा कर दी है। छात्रों के भविष्य को इस तरह नज़रदाज करने पर परीक्षाओं में हो रही अनियमितताओं की पारदर्शी और स्वतंत्र जांच जरूरी है। इसके साथ ही एनटीए का पूर्ण रूप से परिवर्तन और शिक्षा मंत्रालय में संरचनात्मक बदलाव होना बहुत अहम है।

उच्च शिक्षा में इन दिक्कतों और विसंगतियों हट के हमें अन्य स्कूली शिक्षा को भी नहीं भूलना चाहिए। पिछले दशक में भाजपा के नेतृत्व में एनडीए सरकार में संबंधित विभागों को आवंटित बजट में कटौती के साथ ही सरकारी स्कूलों, शिक्षकों और छात्र भर्ती दरों में भारी गिरावट देखी गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “एक्सेस तो एजुकेशन” या “शिक्षा तक पहुंच” को बढ़ाने के वायदे के विपरीत असलियत में 2018-19 और 2021-22 के बीच भारत में स्कूलों की संख्या 1,5115,51,000 से 68,885 गिर कर 14,89,115 हो गई। जिसमें 61,361 स्कूलों के समापन के साथ केंद्रीय और राज्य सरकार द्वारा संचालित स्कूलों में सबसे उल्लेखनीय गिरावट देखने को मिली है। सरकारी स्कूलों में लगातार हो रही गिरावट और निजी स्कूलों की संख्या में हो रही भारी वृद्धि हाशिए के समाज के लिए शिक्षा तक पहुंच पर बड़ा प्रश्न चिन्ह खड़ा करती है।

इन हालातों को सामने रखते हुए स्टूडेंट्स फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडिया (एसएफ़आई) की केंद्रीय कार्यकारी समिति ने 4 जुलाई को राष्ट्रव्यापी *छात्र हड़ताल* करने का फैसला लिया है जिसमें छात्र अपनी कक्षाओं का बहिष्कार करेंगे और देश के हर राज्य और और हर राजधानी में शिक्षा व्यवस्था और लोकतंत्र पर हो रहे हमलों के खिलाफ़ जुलूस निकालेंगे।

इस छात्र हड़ताल के माध्यम से छात्र निम्न मांगों को ले कर अपनी आवाज़ उठाएंगे:
1. एनटीए सिस्टम को खत्म किया जाए।
2. केंद्रीय शिक्षा मंत्री को इस्तीफा देना होगा।
3. जिन छात्रों ने हाल ही में नेट और नीट की परीक्षा दी है वे मुआवजे के पात्र हैं, जो केंद्र सरकार द्वारा उन्हें मिलना चाहिए।
4. पीएचडी प्रवेश के लिए अनिवार्य नेट स्कोर की हाल ही में अपनाई गई प्रणाली को वापस लिया जाए।
5. मौजूदा प्रवेश परीक्षा की प्रक्रियाओं को केंद्रीकृत प्रक्रियाओं से बदलने के प्रयासों को वापस लिया जाए, जिससे देश में प्रवेश माफियाओं का पोषण होता है।
6. टिस मुंबई, आईआईटी बॉम्बे से हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी तक- हमारे विश्वविद्यालयों में छात्र कार्यकर्ताओं, छात्रों की स्वतंत्र अभिव्यक्ति और विश्वविद्यालय में लोकतंत्र पर लगातार हो रहे दमन को बंद करो।
7. स्कूलों को बंद करना बंद करें।

हम पूरे छात्र समुदाय से 4 जुलाई 2024 को ‘राष्ट्रव्यापी हड़ताल’ में शामिल होने की अपील करते हैं।