हमीरपुर/विवेकानंद वशिष्ठ :- भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी कर्ण नंदा ने वर्ष नंबर 5 और 6 में प्रचार के दौरान कहा कि हिमाचल प्रदेश में भ्रष्टाचार चरम पर है। प्रतिदिन कोई न कोई भ्रष्टाचार का मामला जनता के समक्ष आ रहा है और सरकार इन सभी मामलों पर मौन है। इतने छोटे से कार्यकाल में पांच घोटाले यह तो जबरदस्त रिकॉर्ड है आईपीएच, पीडब्ल्यूडी, नादौन भूमि, बद्दी भूमि, एचआरटीसी घोटाला जनता के समक्ष आ गया है। यह घोटालेबाजों की घोटने वाली सरकार है। छोटे से कार्यकाल में अगर हिसाब लगाया जाए तो 1000 करोड़ से ऊपर के घोटाले सरकार के प्रकाशित हो चुके हैं।
बड़ी जल्दी कांग्रेस की भ्रष्ट सरकार ने पांच घोटाले का खिताब जीत लिया है
उन्होंने कहा कि नादौन में सरकार के एक मित्रमंडली के सदस्य पर करोड़ों के घोटाले का आरोप लगा है। सरकार के करीबी मित्र को फायदा पहुंचाने के लिए मित्र के नाम 29 हेक्टेयर जमीन लीज पर दे दी गई, एक ही क्रेशर नादौन में चलता रहा ये सीधे-सीधे केंद्रीय एंजेंसियों का केस बनता है। इसी तरह की धांधली पूरे प्रदेश में सुक्खू सरकार के राज में चल रही है।
यह घोटालेबाजों की घोटने वाली सरकार है
इसके साथ बद्दी में तीन कंपनियों की खरीद फरोख्त पिछले कई महीने में हो चुकी है, जिस कीमत पर ये कंपनियां खरीदी गईं उससे चार गुणा ज्यादा पर बेच दी गईं। 30 करोड़ सेंट्रल यूनिवर्सिटी के लिए सरकार के पास देने को नहीं, लेकिन पंजाब के किस व्यक्ति के 250 करोड़ माफ कर दिए गए।
उन्होंने कहा की प्रदेश का सबसे बड़ा भू माफीया सरकार स्वयं बनी बैठी है। असलियत में प्रदेश के कांग्रेसी टॉप लीडर का काम जमीनों पर कब्ज़ा करना और अपना मालीकाना हक जताना है। यह गोरख धंधा परिवार में मिला कर कई सालों से कीया जा रहा है। पहले नादौन में 29 हिक्टर यानी 769 कनाल जमीन खरीदी जाती है, जीसे साल 2012 में टॉप लीडर अपने नाम करवा लेते है। ज़मीन को कृषि भूमी दिखाया जाता है और जमीन के रीकोर्ड को एक हि दिन में बदल दिया जाता है, इस काम को अंजाम देने वाला व्यक्ति आज सरकार में उचपद पर विराजमान है। धांधली का आलम देखीए जीस ज़मीन को 2012 में कृषि भूमी दिखाया गया उसी ज़मीन को 2017 और 2022 के हलफनामे में वो ज़मीन कैसे गैर कृषि भूमि हो गई। पहले जमीन को 51000 प्रती कनाल के हिसाब से खरीदा जाता है, फीर इसी ज़मीन को 60000 प्रती कनाल के हिसाब से खरीदते है। जबकी माननीय सर्वोच्च न्यालय के आदेश अनुसार इस ज़मीन पर कोई मालकाना हक नहीं जताया जा सकता है, यह ज़मीन भूसीमा निर्धारण अधिनियम धारा 3 के अनुसार यह भूमी कीसी भी परिभाषा में नहीं आती है। इसलीए इसकी कीमत नहीं आंकी जा सकती है। तब भी नेतागण अपने हलफनामे में इसकी कीमत लगभग 2 करोड़ से अधिक दिखाते है।