सीटू का तीसरा राज्य सम्मेलन हुआ सम्पन्न।

शिमला/विवेकानंद वशिष्ठ :- एसबीआई कॉन्ट्रेक्ट वर्करज़ यूनियन सम्बन्धित सीटू का तीसरा राज्य सम्मेलन सीटू राज्य कार्यालय किसान मजदूर भवन चिटकारा पार्क कैथू शिमला में सम्पन्न हुआ। सम्मेलन में प्रदेश के सब जिलों से प्रतिनिधि शामिल रहे। इस दौरान इकत्तीस सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया।

डिम्पल को अध्यक्ष, राकेश को महासचिव, भूपिंद्र को कोषाध्यक्ष, विनय, चंदेल सिंह, ममता, पूनम को उपाध्यक्ष, सुनीता, राकेश, अरुण, रवि को सचिव, राजेन्द्र, प्रताप, रविन्द्र, रवि, सुमित, छूनो राम, सुभाष, नीमा, राजन, साहिल, रंजन, सुरेश, अश्वनी को कमेटी सदस्य चुना गया।

सम्मेलन का उद्धाटन सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने किया। सम्मेलन की रिपोर्ट बालक राम ने रखी। सम्मेलन का समापन रमाकांत मिश्रा ने किया। विजेंद्र मेहरा, रमाकांत मिश्रा, बालक राम, डिम्पल, राकेश व भूपेंद्र ने कहा है कि हिमाचल प्रदेश में एसबीआई ब्रांचों में कार्यरत हाउस कीपिंग स्टाफ का भारी शोषण हो रहा है।

उन्हें केंद्र सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम वेतन तक नहीं दिया जा रहा है। उनके ईपीएफ में भारी गड़बड़ियां हैं। उनसे दस से ग्यारह घण्टे कार्य लिया जा रहा है परन्तु उन्हें ओवरटाइम वेतन का भुगतान नहीं किया जा रहा है। इन कर्मचारियों से सुबह आठ बजे से शाम सात बजे तक कार्य करवाया जा रहा है जबकि इनमें से बहुत सारे कर्मचारी महिलाएं हैं। इस तरह इन कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा से खिलवाड़ किया जा रहा है।

इनसे अपने कार्य के अलावा बैंक खोलने व बन्द करने, बाउचर लगाने, डॉक्यूमेंट निकालने, पानी पिलाने, चाय व खाना बनाने, बर्तन साफ करने, मेसेंजर, चपड़ासी, डाक वितरण, बिजली व अन्य बिल जमा करने, अटल पेंशन योजना व जीवन ज्योति योजना, अकाउंट ओपनिंग के फॉर्म भरने, रजिस्टर मेंटेनेंस सहित कई तरह के कार्य लिए जा रहे हैं जोकि इनकी कार्य की शर्तों के खिलाफ है। इन्हें इस अतिरिक्त कार्य का कोई वेतन भुगतान नहीं किया जा रहा है।

इन्हें इन कार्यों के लिए टीए का भुगतान नहीं किया जा रहा है। इन कर्मचारियों को दी जा रही दो वर्दियों का पैसा भी इनसे ही काटा जा रहा है। इन कर्मचारियों को सेलरी स्लिप, ईपीएफ एनुअल स्टेटमेंट, पहचान पत्र आदि नहीं दिए जा रहे हैं। इनको साप्ताहिक अवकाश के अलावा कोई भी छुट्टी नहीं दी जा रही है। छुट्टी जाने पर इन्हें अपने पैसे से ही रिलीवर की व्यवस्था करनी पड़ती है। इन्हें मेडिकल सुविधा भी नहीं दी जा रही है।

इन्हें माननीय सुप्रीम कोर्ट के 26 अक्तूबर 2016 के आदेश अनुसार समान कार्य का समान वेतन भी नहीं दिया जा रहा है। इन्हें कानून अनुसार हर महीने सात तारीख़ से पहले वेतन का भुगतान नहीं किया जा रहा है। कई ठेकेदार कई महीनों तक मजदूरों का वेतन भुगतान नहीं कर रहे हैं। कर्मचारियों के रोज़गार की कोई सुरक्षा नहीं है तथा नियोक्ता की मनमानी का विरोध करने पर उन्हें नौकरी से निकालने की धमकियां दी जाती हैं।

इन्हें सफाई के सामान का हर महीने लगभग आठ सौ रुपये अपनी जेब से खर्चने पड़ रहे हैं। इन्हें 50 वर्ष की उम्र में ही जबरन नौकरी से बेदखल किया जा रहा है। कई मजदूरों को बेवजह स्थानांतरित किया जा रहा है। यूनियन ने चेताया है कि अगर शीघ्र ही समस्याओं का समाधान न किया गया तो यूनियन एसबीआई मुख्यालय शिमला का घेराव करने के लिए बाध्य होगी।