‘जमीन कब्जाने का तरीका…’, मंदिर पर चलना था बुलडोजर, आनन-फानन में लोग पहुंचे HC, जज ने लगा दी क्लास

अहमदाबाद: सड़क निर्माण के लिए एक मंदिर पर संभावित बुलडोजर एक्शन को लेकर दायर याचिका पर गुजरात हाईकोर्ट ने एक अहम टिप्पणी की है. सड़क निर्माण के रास्ते में पड़ने वाले मंदिर को बचाए जाने की गुहार करने वाली याचिका पर हाईकोर्ट ने कहा कि मंदिर का निर्माण सार्वजनिक जमीन पर कब्जा करने का एक और तरीका है. टाउन प्लानिंग स्कीम के तहत सड़क निर्माण के लिए मंदिर को तोड़ने से बचाने की स्थानीय लोगों की अपील के जवाब में गुजरात हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने गुरुवार को कहा, ‘इस तरह लोग भावनात्मक रूप से सभी को ब्लैकमेल करते हैं.’ मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल ने कहा, ‘भारत में मंदिर का निर्माण सार्वजनिक भूमि पर कब्जा करने का एक और तरीका है.’

टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, चंदलोडिया में 93 परिवारों ने टाउन प्लानिंग योजना के तहत एक सार्वजनिक सड़क के निर्माण के लिए मंदिर के ध्वस्तीकरण के विरोध में हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. टाउन प्लानिंग स्कीम को चुनौती देने वाली याचिका को पहले सिंगल जज की बेंच खारिज कर चुकी थी. इसके बाद याचिकाकर्ता ने डबल बेंच के समक्ष यह याचिका दायर की. हालांकि, अहमदाबाद नगर निगम ने पहले ही आश्वासन दे दिया था कि इस सड़क निर्माण में किसी भी घर को ध्वस्त नहीं किया जाएगा. मगर अब स्थानीय लोगों ने भावनात्मक लगाव का हवाला देते हुए प्रस्तावित सड़क के किनारे स्थित एक मंदिर की रक्षा करने की मांग की. दावा है कि पूरे समुदाय ने मिलकर इस मंदिर का निर्माण कराया था.

‘आप भावनाओं को भुनाने की कर रहे कोशिश’
हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस सुनीता अग्रवाल ने कहा, ‘मुझे इस बात पर कायम रहना होगा कि आप इसी तरह से सभी को भावनात्मक रूप से ब्लैकमेल करते हैं. आप सार्वजनिक संपत्ति पर अतिक्रमण करते हैं. और ये हर जगह हो रहा है.’ चीफ जस्टिस ने आगे कहा, ‘जिस जमीन पर मंदिर स्थित है, उस पर अपीलकर्ताओं का मालिकाना हक नहीं है. यह कहकर कि वहां से मंदिर हटा दिया जाएगा, यह दावा करके कि इससे लोग प्रभावित होंगे…आप भावनाओं को भुनाने की कोशिश कर रहे हैं.’

‘भारत में जमीन हड़पने का नया तरीका’
रिपोर्ट के अनुसार, इसके बाद चीफ जस्टिस ने घरों को मंदिर में बदलने की कोशिश करके अवैध निर्माणों की रक्षा करने की विधि के बारे में विस्तार से बताया और कहा कि आप घर के बाहर कुछ चिन्ह लगा दें और उसे मंदिर बना दें. यह भारत में जमीन हड़पने का एक और तरीका है…’ इसके बाद चीफ जस्टिस सुनीता अग्रवाल और जस्टिस अनिरुद्ध माई की पीठ ने अपने अंतरिम आदेश में विध्वंस के खिलाफ दी गई अंतरिम सुरक्षा जारी रखी. अब अगली सुनवाई 14 मार्च को होगी.

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