क्या है मार्च महीने की कहानी, ये कहां से आया और कितना पुराना

हाइलाइट्स

सदियों पहले एक जमाने में रोमन कैलेंडर में मार्च पहला महीना होता था और जोश की याद दिलाता था
ग्रेगोरियन कैलेंडर के आने के बाद ये तीसरे नंबर का महीना बन गया लेकिन इसे खुशगवार महीना मानते हैं
मार्च हमेशा 31 दिनों का होता है, इसके नाम पर जूलियस सीजर ने मुहर लगाई थी

साल के तीसरे महीने मार्च की शुरुआत हो चुकी है. मार्च महीने की आज पहली तारीख है. क्या आपको मालूम है कि मार्च का महीना कहां से आया. ये कितना पुराना है. इसकी कहानी क्या है. कैलेंडर में एक जमाने में ये पहला महीना हुआ करता था तो तीसरे नंबर पर कैसे आ गया. वैसे मार्च के महीने को शूरवीरों का महीना भी कहा जाता है, इसीलिए मार्च और मार्चिंग जैसे शब्द जुड़े हुए लगते हैं.

मार्च नाम लैटिन शब्द मार्टियस से लिया गया है, जो युद्ध के रोमन देवता मार्स के नाम पर है. मार्टियस सदियों पहले मूल रोमन कैलेंडर के पहले महीने का नाम था. जब रोमन कैलेंडर की शुरुआत हुई तो मार्च सबसे पहला महीना होता था, तब साल 12 नहीं बल्कि 10 महीने का होता था.

किसने इसका नाम बनाया
मार्च महीने को अलेक्जेंड्रिया के खगोलशास्त्री सोसिजीन द्वारा विकसित किया गया था. चूंकि ये पहला महीना था लिहाजा इस पर काफी दिमाग लगाया गया कि इसको किसके नाम पर रखा गया जाए. चूंकि इसे पहले महीने के तौर पर माना जा रहा था, लिहाजा सोचा गया कि इसका नाम ऐसा हो कि सुनते ही जोश आ जाए. लिहाजा इसके नाम को युद्ध के देवता मार्स से जोड़ा गया.

जिसने इस महीने के नाम पर मुहर लगाई वही इसका शिकार हो गया
46 ईसा पूर्व में जूलियस सीज़र ने इस महीने के नाम पर मुहर लगा दी. ये रोमन कैलेंडर का पहला महीना बन गया. हालांकि इस महीने ने जूलियस सीज़र को दुखद तरीके से प्रभावित भी किया. क्योंकि इसी महीने में उनकी हत्या कर दी गई.

किसने मार्च के महीने तीसरे नंबर पर खिसकाया
रोमन शासक नुमा पोम्पिलियस को पारंपरिक रूप से जनवरी और फरवरी को कैलेंडर में जोड़ने का श्रेय दिया जाता है, जिससे मार्च वर्ष का तीसरा महीना बन गया. वैसे कुछ संस्कृतियों और धर्म में अब भी 1 मार्च को नए साल की शुरुआत मनाते हैं. ईरान में नए साल का पहला दिन 21 मार्च को मनाया जाता है. वैसे ग्रेगोरियल कैलेंडर अपनाए जाने के बाद मार्च उन 07 महीनों में एक है, जिनके दिनों की संख्या 31 होती है.

मार्च का सैन्य अभियानों से क्या रिश्ता
प्राचीन रोम में, मार्च से सैन्य अभियान के मौसम की शुरुआत होती थी. कुछ लोग कहते हैं कि इसीलिए वजह महीने का नाम मार्च रखा गया, जो “युद्ध की ओर मार्च” की ओर संकेत देता था. वैसे मार्च शब्द पुराने फ्रांसीसी शब्द मार्चियर से आया – मतलब “चलना, बढ़ना”. वैसे कहा जाता है रोमन साम्राज्य में युद्ध की शुरुआत आमतौर पर पर इसी महीने में होती थी.

हमेशा ये 31 दिनों का ही होता है
कहते हैं कि मार्च महीने का जन्म 150 ईसा पूर्व हुआ. हालांकि कुछ लोग इसको और पुराना मानते हैं. वैसे मार्च जूलियन और ग्रेगोरियन दोनों कैलेंडर में वर्ष का तीसरा महीना है. इसकी अवधि हमेशा 31 दिनों की होती है.

मौसम खुशगवार होने लगता है
बहुत से देशों में मार्च वो महीना होता है जब मौसम बहुत खुशगवार होता है. वसंत आ चुका होता है या दस्तक दे रहा होता है. धरती एक नई आभा और हरियाली के साथ सुंदरता की चादर ओढ़ने लगती है. लिहाजा ये महीना लोगों के मूड को बेहतर करने वाला भी मान लिया जाता है.

भारत में भी मार्च का महीना प्रकृति, बसंत और खेती-किसानी के लिहाज से सबसे बेहतरीन महीना होता है. खासकर इस महीने में भारत की प्रकृति सबसे मोहक रूप में कही जाती है.

दुनियाभर की महिलाओं के लिए खास महीना
दुनियाभर की महिलाओं के लिए तो ये खास महीना है. 08 मार्च को विश्व महिला दिवस मनाया जाता है. हालांकि ये दिन काफी सोचविचार कर चुना गया था. ये अमेरिकी सोशलिस्ट पार्टी थी जिसने महिलाओं को एक दिन समर्पित करने का प्रस्ताव दिया था, जिसे सोचविचार करने के बाद 8 मार्च के दिन चुना गया.
अब कुछ वर्षों से 8 मार्च को प्रतीकात्मक रूप से महिलाओं के खिलाफ हिंसा के खिलाफ दिन से जोड़ा गया है.

भारत में मार्च का महीना यानि उल्लास का महीना
अगर भारत की बात करें तो मार्च महीना जब आता है तो देश में फाल्गुन का महीना भी आसपास होता है. फाल्गुन का महीना खासकर देश में उल्लास और उमंग का महीना होता है. पर्वों का महीना भी होता है. इस महीने में महाशिवरात्रि और होली जैसे त्योहार धूमधाम से मनाते जाते हैं. दक्षिण के राज्यों में इस महीने में कई तरह के पर्व होते हैं.

वैसे मार्च के महीने में गोलार्द्ध के एशियाई हिस्से की ओर दिन बड़े होने लगते हैं. ठंड खत्म हो चुकी होती है और ये मौसम ऐसा होता है ना तो ज्यादा ठंड होती है और ना ही ज्यादा गर्मी. ये बहुत अनुकूल मौसम माना जाता है.

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