बाबा बालक नाथ मंदिर ट्रस्ट में हाल ही में भरी गई दो पोस्टों ने पूरे क्षेत्र में गहरी नाराज़गी व गंभीर संदेह उत्पन्न कर दिया: सोम दत्त

हमीरपुर/विवेकानंद वशिष्ठ :-  बाबा बालक नाथ मंदिर ट्रस्ट में हाल ही में भरी गई दो पोस्टों ने पूरे क्षेत्र में गहरी नाराज़गी और गंभीर संदेह उत्पन्न कर दिया है। जिन नियमों पर माननीय न्यायालय का स्टे लागू है, उन्हीं नियमों को तोड़कर की गई यह भर्ती यह स्पष्ट दिखाती है कि प्रशासन ने कानून के नहीं, बल्कि राजनीतिक दबाव के आगे घुटने टेक दिए हैं।

 

सबसे सीधा सवाल यह है कि
जब माननीय कोर्ट ने नियमों पर रोक लगाई हुई है, तब ये नियुक्तियाँ किस आधार पर और किसके इशारे पर की गईं?
क्या अदालत की अवहेलना करके अपने चहेतों को लाभ पहुँचाना ही इस पूरी प्रक्रिया का असली एजेंडा था?
केवल बड़सर विधानसभा के युवाओं ही नहीं, बल्कि मंदिर से जुड़े स्थानीय गाँवों को भी बेरहमी से नजरअंदाज किया गया है।
खासकर चकमोह गाँव, जिसने ट्रस्ट को करोड़ों–अरबों की जमीन दान दी, आज उसी गाँव के युवाओं को प्राथमिकता तो दूर, अवसर तक न दिया जाना—यह ट्रस्ट और प्रशासन की कृतघ्नता और पक्षपात का सबसे बड़ा प्रमाण है।
स्थानीय लोगों के योगदान पर मंदिर खड़ा है, लेकिन जब उनके अधिकारों की बात आती है, तो प्रशासन पता नहीं क्यों हमेशा परहेज करता है।
बड़सर के युवाओं को अयोग्य बताकर हमीरपुर, नादौन और भोरंज के उम्मीदवारों को प्राथमिकता देना साफ दर्शाता है कि यह पूरी भर्ती पहले ही सेट और फिक्स थी।
क्या बड़सर में एक भी योग्य युवा नहीं था?
या फिर पहले से तय नामों को फिट करने के लिए योग्यता को ही रौंद दिया गया?
यह योग्यता के अधिकार की खुली हत्या है।
यह भर्ती प्रक्रिया की बेशर्म धज्जियाँ उड़ाना है।
और यह पारदर्शिता के नाम पर डकैती है।
और इससे भी शर्मनाक बात
अगर इस स्थानीय विधानसभा से एक भी नियुक्ति नहीं हुई तो यह कांग्रेस के वर्तमान प्रत्याशी और पूर्व दिग्गज नेताओं की पूरी कमजोरी, प्रभावहीनता और स्थानीय मुद्दों पर नाकामी को उजागर करता है।
जो अपने क्षेत्र के युवाओं की आवाज नहीं उठा सकते—they simply don’t deserve to talk about जनता के अधिकार।
भाजपा मंडल बड़सर, ढटवाल इन मनमानी और संदिग्ध नियुक्तियों का कड़ा विरोध करता हूँ।
और यह भी साफ कर दूँ कि
पूरे बड़सर भाजपा नेतृत्व द्वारा इस भर्ती प्रक्रिया पर गंभीर आपत्ति जताई जा रही है।
हम सब मिलकर पूर्ण पारदर्शिता, स्वतंत्र जांच और स्थानीय युवाओं के अधिकारों की बहाली की स्पष्ट और कड़ी मांग करते हैं।
यह मामला सिर्फ भर्ती का नहीं—
यह स्थानीय युवाओं की उपेक्षा, प्रशासन की मनमानी और न्याय के साथ खिलवाड़ का मामला है।