



हमीरपुर/विवेकानंद वशिष्ठ :- अक्सर सार्वजनिक जीवन में वादे किए जाते हैं, लेकिन पूरे होने में महीनों, कई बार सालों का समय लग जाता है। जनता सुन-सुनकर थक जाती है और विश्वास टूटने लगता है। लेकिन कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनके लिए वादा केवल शब्द नहीं, बल्कि जिम्मेदारी होता है।
जनसेवा की सच्ची भावना से क्षेत्र के जरूरतमंदों को मिल रहा नया संबल



सुजानपुर क्षेत्र में डॉ. सुरेंद्र डोगरा आज इसी भरोसे के रूप में उभरे हैं—एक ऐसे जनसेवक, जिनके लिए लोगों की परेशानियां ही प्राथमिकता हैं और मदद करना उनके स्वभाव का हिस्सा है।




मंगलवार सुबह का एक छोटा-सा दृश्य पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बना। डॉ. डोगरा एक स्थान पर चाय पीने रुके। वहीं चाय की रेहड़ी लगाने वाली महिला सुदेश ने झिझकते हुए अपनी परेशानी बताई—कहा कि ठंड बढ़ रही है और उनका तिरपाल फट चुका है, इसलिए उन्हें नए तिरपाल की आवश्यकता है।
सुदेश को अंदाजा नहीं था कि उनकी यह सरल-सी आवश्यकता किसी जनसेवक के दिल पर इतनी जल्दी असर करेगी। डॉ. डोगरा ने उसी क्षण मुस्कुराकर कहा—“तिरपाल आज ही पहुंच जाएगा।”

बहुतों को यह मात्र एक आश्वासन लगा, लेकिन डॉ. सुरेंद्र डोगरा के लिए यह कर्तव्य था। और उन्होंने इसे उसी दिन शाम तक पूरा करके दिखाया।
शाम को जब तिरपाल सुदेश को मिला, तो वह भावुक हो उठीं। उनकी आंखों में राहत के साथ-साथ विश्वास की चमक भी थी। उन्होंने बताया कि उन्हें उम्मीद नहीं थी कि कोई उनकी इतनी जल्द मदद करेगा।
उन्होंने क्षेत्रवासियों से अपील की कि अधिकाधिक लोग डॉ. सुरेंद्र डोगरा जैसे जनसरोकार से जुड़े व्यक्ति के साथ जुड़ें, क्योंकि वे केवल सार्वजनिक जीवन में सक्रिय व्यक्ति नहीं, बल्कि जरूरतमंदों के सहारा बनते जा रहे हैं।
यह घटना सिर्फ एक तिरपाल देने की नहीं है। यह कहानी है संवेदनशीलता, ईमानदारी और उस जनसेवा भावना की, जो आज के समय में दुर्लभ होती जा रही है। जब बड़ी-बड़ी घोषणाओं के बीच जनता अक्सर खुद को उपेक्षित महसूस करती है, तब डॉ. सुरेंद्र डोगरा जैसे लोकसेवक यह सिद्ध करते हैं कि जनता और जनप्रतिनिधि के बीच का रिश्ता आज भी इंसानियत और भरोसे पर आधारित हो सकता है।

सुदेश ने अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए कहा—
“मुझे लगा था कि बस ऐसे ही कह दिया होगा… पर जब शाम को तिरपाल मिल गया तो दिल भर आया। ऐसे लोग बहुत कम होते हैं। डॉ. डोगरा जी जैसे संवेदनशील और मददगार व्यक्ति का साथ हर किसी को देना चाहिए।”
डॉ. सुरेंद्र डोगरा का यह छोटा-सा कदम आज पूरे क्षेत्र में एक बड़ी मिसाल बन चुका है। यह संदेश देता है कि सच्ची जनसेवा वही है, जहां एक रेहड़ी लगाने वाली महिला की जरूरत भी उतनी ही महत्वपूर्ण मानी जाए जितनी किसी बड़ी समस्या की।
सुजानपुर में डॉ. डोगरा की पहचान अब केवल एक सार्वजनिक रूप से सक्रिय व्यक्ति की नहीं, बल्कि एक समर्पित जनसेवक की बनती जा रही है—जो वादा करते हैं तो निभाते भी हैं, और जरूरत सुनते ही तुरंत कदम उठाते हैं।















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