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मिड डे मील वर्करज़ यूनियन सम्बन्धित बैठक हुई संपन्न

शिमला/विवेकानंद वशिष्ठ :-   मिड डे मील वर्करज़ यूनियन सम्बन्धित सीटू की जिला कमेटी की बैठक सीटू कार्यालय शिमला में संपन्न हुई। बैठक में सीटू जिला कोषाध्यक्ष बालक राम, जिला सचिव रमाकांत मिश्रा, यूनियन महासचिव हिमी, यूनियन जिला अध्यक्ष शांति देवी, महासचिव प्रीति रेखा,रमा,राज मिला, सुरेखा, टेकचंद, ध्यान चन्द काल्टा, भूमि,नीलम,प्रभा शर्मा, बबिता, नरेन्द्री, लेखराज आदि मौजूद रहे।

सीटू जिला कोषाध्यक्ष बालक राम, जिला सचिव रमाकांत मिश्रा, हिमी देवी, शान्ति देवी, प्रीति ने बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा कि प्रदेश के कई हिस्सों में मिड डे मील वर्करों को पिछले कई महीने के वेतन का भुगतान नहीं हुआ है। कई जगह उन्हें सरकार द्वारा घोषित 4500 रुपये वेतन भी नहीं मिल रहा है। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर मिड डे मील कर्मियों की मांगों का समाधान न किया गया तो यूनियन विधानसभा घेराव करेगी। उन्होंने मांग की है कि माननीय हिमाचल उच्च न्यायालय द्वारा मिड डे मील कर्मियों को बारह महीने का वेतन देने के निर्णय का यूनियन ने स्वागत किया है व इसे मध्याह्न भोजन कर्मियों के पंद्रह साल के लंबे न्यायिक संघर्ष की जीत करार दिया है। पंजाब सरकार के मिड डे मील कर्मियों के लिए दी गयी सुविधा व हिमाचल प्रदेश में आंगनबाड़ी को दी गयी सुविधा की तर्ज़ पर मिड डे मील कर्मियों को 12 से 20 छुट्टियों की सुविधा दी जाए। उन्हें साल में दो वर्दी दी जाए। मल्टी टास्क भर्ती में मिड डे मील कर्मियों को प्राथमिकता दी जाए। उन्हें अतिरिक्त कार्य का अतिरिक्त वेतन दिया जाए। बन्द किए गए स्कूलों में अन्य स्टाफ की तरह मिड डे मील कर्मियों को भी दूसरे स्कूलों में समायोजित किया जाए। उनके लिए नौकरी से सम्बंधित 25 बच्चों की शर्त को हटाया जाए। प्रत्येक स्कूल में अनिवार्य रूप से दो मिड डे मील वर्करज़ की नियुक्ति की जाए। 45वें भारतीय श्रम सम्मेलन की सिफारिश अनुसार मिड डे मील कर्मियों को मजदूर का का दर्जा दिया जाए व उन्हें नियमित किया जाए।

वक्ताओं ने कहा कि देश की मोदी सरकार मजदूर वर्ग पर तीखे हमले जारी रखे हुए है। केंद्र सरकार 45वें श्रम सम्मेलन की शर्त के अनुसार योजना मजदूरों को मजदूर का दर्जा देने, पेंशन, ग्रेच्युटी, स्वास्थ्य आदि सुविधा को लागू नहीं कर रही है। केंद्र में रही सरकारों ने वर्ष 2009 के बाद मिड डे मील कर्मियों के वेतन में एक रुपये की भी बढ़ोतरी नहीं की है। मोदी सरकार इस योजना को कॉरपोरेट कम्पनियों के हवाले करना चाहती है। यही कारण है कि इस योजना के बजट में लगातार कटौती की जा रही है। मोदी सरकार ने मिड डे मील योजना का नाम बदलकर प्रधानमंत्री पोषण शक्ति योजना करके इसे खत्म करके सुनियोजित साज़िश रची है। सरकार मिड डे मिल योजना में केंद्रीय रसोई घर व डीबीटी शुरू कर रही है जिस से मिड डे मील कर्मियों की छंटनी तय है। केंद्र सरकार नई शिक्षा नीति लेकर आई है, जिसके चलते बड़े पैमाने पर निजीकरण होगा। यह सब करके भाजपा सरकार मिड डे मील कर्मियों के रोजगार को खत्म करना चाहती है। प्रदेश में कई स्कूल बंद कर दिए गए हैं व कई मिड डे मील कर्मियों को नौकरी से बाहर किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि स्कूलों में मिड डे मील के रिक्त पदों को तुरंत भरा जाए।