हिमाचल/विवेकानंद वशिष्ठ :- मंगलवार, भाद्रपद कृष्ण पक्ष की नवमीं तिथि से मंडी की घोघरधार पहाड़ी पर देवताओं और डंकनियों में युद्ध का शंखनाद हो गया है। धरती पर शक्तियों का निर्धारण के लिए दोनों पक्षों में महासंग्राम छिड़ने के बाद आने वाले दिनों में यह भयंकर रूप ले लेगा।
1 सितंबर को होगा भयंकर युद्ध, 7 को आएगा महासंग्राम का परिणाम
1 सितंबर को भाद्रपद, कृष्ण पक्ष की चतुर्दर्शी तिथि पर लोकपर्व डुंगास या डंगवास मनाई जाएगी, इस तिथि को बेहद कड़ा माना गया है और इसमें देवों और डंकनियों के मध्य वर्चस्व की जंग अपने चरम पर रहने वाली है।
इस दिन जनपद में पराप्रकृति भगवती महाकाली के कई सिद्धपीठों में जाग का आयोजन होगा। 2 सितंबर को कुशाग्रहणी अमावस्या रहेगी 7 सितंबर को भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि (पत्थर चौथ) को देवधार में सत बाला कामेश्वर मंदिर में होने वाली जाग में घोघरधार महासंग्राम का परिणाम सुनाया जाएगा।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अगले दिन यानी आज से डुंगास बैठ गई है। इसका अर्थ यह हुआ कि घोघरधार पहाड़ी पर डंकनियों और देवों में महासंग्राम छिड़ गया है। अभी युद्ध आरंभ ही हुआ है। देव कमरूनाग और देवी शिकारी माता के कपाट इन दिनों बंद हैं।
ऐसा मत प्रकट किया जाता है कि देवता, डंकनियों के साथ युद्ध लड़ने के लिए घोघरधार पहुंचे हैं। डाकिनी, जिसे स्थानीय बोली में डंकनी कहा गया है, महाकाली का अति विध्वंसक रूप माना गया है।
पहाड़ के कई हिस्सों में डुंगास बैठने पर आज के इस आधुनिक युग में भी शाम के समय लोग खासकर बच्चों को घरों से बाहर मंडी नहीं भेजते हैं। लोग अपनी जेब में अभिमंत्रित सरसों के दाने रखते हैं।
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