शारदीय नवरात्रि की महत्व: पंडित सुरेश गौतम

हिमाचल/विवेकानंद वशिष्ठ  :- हिमाचल प्रदेश के सुप्रसिद्ध आचार्य पंडित सुरेश गौत  के कथानक अनुसार शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व है

शारदीय नवरात्रि 3 से 11 अक्तूबर

श्रीमद् देवी भागवत’ के तीसरे स्कंध में महर्षि वेदव्यासजी जनमेजय को नवरात्रि का महात्म्य बताते हुए कहते हैं ।

6-6 मास में नवरात्रि आती है । शारदीय नवरात्र रावण-वध की तिथि के पहले आते हैं और दूसरे नवरात्र आते हैं वसंत ऋतु में राम जी के प्राकट्य के पहले । ये दोनों ऋतुएँ बड़ी क्रूर हैं । ये रोग उत्पन्न करने वाली हैं । इन दिनों में व्यक्ति अगर नवरात्रि का व्रत और उपवास नहीं करता तो वह आगे चल के बड़ी-बड़ी बीमारियों का शिकार हो सकता है अथवा अभी भी बीमारियों में वह भुन जायेगा ।

अगर नवरात्रि व्रत रखता है, भगवती की आराधना करता है तो आराधना की पुण्याई व प्रसन्नता से मनोरथ भी पूरे होते हैं और शरीर में जो विजातीय द्रव्य हैं, उपवास और विश्रांति उन रोगकारक द्रव्यों को भस्म कर देती है ।

नवरात्रि के उपवास से शरीर के जीर्ण-शीर्ण रोग और रोग लाने वाले कण ये सब नष्ट हो जाते हैं, पाप दूर होते हैं, मन प्रसन्न होता है, बुद्धि का औदार्य व तितिक्षा का गुण बढ़ता है और नारकीय योनियों से छुटकारा मिलता है ।